Anand Yog

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100.00 99.00

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Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9788131008041

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

आनंद योग

’आनंद’ शब्द का कोई विकल्प नहीं है। भारतीय दर्शन में इसे द्वंद्वातीत स्थिति माना गया है। इसमें दुख-सुख जैसे द्वंद्व अपनी सार्थकता खो बैठते हैं। दूसरे शब्दों में, यह जीवन साधना का परमोत्कर्ष है। इस स्थिति को प्राप्त करना आसान नहीं है। लेकिन संसार की अनुकूल-प्रतिकूल स्थितियों-परिस्थितियों में रहते हुए भावनात्मक रूप से स्वयं को संतुलित रखने का अभ्यास तो किया ही जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जीवन के बारे में आपका दृष्टिकोण स्पष्ट हो अर्थात् लक्ष्य निर्धारित हो।

साधन कौन-कौन से हैं और हममें किस साधन की योग्यता है आदि प्रश्नों के स्पष्ट समाधान हों। अकसर लोग इन बातों पर विचार करने से कतराते हैं। उनका मानना है कि सर्वसाधारण का ऐसे प्रश्नों से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन मनीषियों का कहना है कि यही सोच दुख का मूल कारण है। जो दुख से मुक्त होना चाहता है, उसे इन सवालों का जवाब तलाशना ही होगा।

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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