Anbita Vyatit

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Anbita Vyatit

Anbita Vyatit

130.00 96.00

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Author: Kamleshwar

Availability: 5 in stock

Pages: 147

Year: 2012

Binding: Paperback

ISBN: 9788180313158

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

अनबीता व्यतीत

‘‘देखिए मैं आपकी पत्नी जरूर हूँ लेकिन मैं एक औरत भी हूँ…जिस दुनिया में आप रहते हैं, वह भी सही है और जिस दुनिया में मैं रह सकती हूँ वह भी सही है…मेरा शरीर संतृप्त होता रहे और मेरा मन तृप्त होता रहे, यह मुझे आप के साथ बहुत दूर तक नहीं ले जा सकता…मैं जानती हूँ, पंछियों के कैमीकल से युक्त भूसा भरे शरीरों के करोड़ों रूपये के बिजनेस को छोड़ना या बन्द करना आपके लिए मुमकिन नहीं होगा…लेकिन मेरे लिए यह मुमकिन होगा कि मैं मुर्दो की इस दुनिया से बाहर चली जाऊँ।’’

– इसी उपन्यास से

1947 के बाद सामन्ती युग का पतन, पर्यावरण, पक्षियों से प्रेम तथा सहज मानवीय कोमल सम्बन्धों की यह कहानी बरबस ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेगी। ‘‘कुँवर जी, एक बात आप अच्छी तरह समझ लीजिए।’’ समीरा ने बहुत ही सीधे-सपाट लहजे में कहा, ‘‘यह तो ठीक है कि आपके साथ मेरा विवाह हुआ है और इस सच्चाई से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि मैं आप के कुँवर विक्रम की माँ हूँ। लेकिन कुँवर जी, संसार के जितने भी रिश्ते-नाते हैं, भले ही वह रिश्तेदारी हो, दोस्ती हो या भाईचारा, पति-पत्नी के संबंध हों या माता-पिता और सन्तान के…हर संबंध, हर रिश्ते और नाते का एक आधार होता है, एक-दूसरे की भावनाओं की अनकही लय…जैसी लहरों में होती है। अपनी-अपनी तरह से उठने-गिरने और साथ जुड़ पाने का रिश्ता…उसी पानी को आप अलग कर ले तो उस बन्द पानी में लहरे नहीं उठतीं, मुझे लगता है, मैं उसी बन्द पानी की तरह रह गई हूँ…बंद पानी की अपनी कोई जिंदगी या मर्जी नहीं होती…’’

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Paperback

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Publishing Year

2012

Pulisher

Language

Hindi

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