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अन्धेर नगरी
प्रस्तुत पुस्तक ‘अंधेर नगरी’ भारतेंदु ने बनारस में नेशनल थियेटर के लिए एक दिन में सन् 1881 में लिखा था जो काशी के दशाश्वमेघ घाट पर उसी दिन अभिनीत भी हुआ। ‘अंधेर नगरी’ को रोचक विनोदपूर्ण बनाने के लिए उसका कथात्मक ढाँचा सादा सामान्य रखा है पर व्यंग्य को तीव्रतर बनाने के लिए जरूरी संकेत पहले दृश्य से ही दिये हैं।
‘अंधेर नगरी’ अंग्रेज राज्य का ही दूसरा नाम है। संवाद व्यंग्यपूर्ण अभिप्रायमूलक है। समूचा प्रकरण तमाशा जैसा ही है। क्योंकि ‘अंधेर नगरी’ की अंधेरगर्दी जिस हास्यास्पद परिणति तक दिखायी गयी है वह अकल्पनीय या अविश्वसनीय होते हुए भी यथार्थ के निकट है।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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