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Description
आँखों आँखों रहे
वसीम बरेलवी हमारे दौर के उन मशहूरो-मारूफ़ शायरों में हैं जिन्हें उनकी शायरी ने सुनने और पढ़ने वालों में महबूब बना दिया है। अपनी भाषा की सरलता और चिन्तन में ज़िन्दगी के आम सरोकारों से ग़ज़ल को जोड़कर वसीम साहब ने अपना रिश्ता एक सन्तुलन के साथ अवाम और अदब से जोड़ा है, जो बहुत बड़ी बात है। हमारे समाज को आज जिस शायरी की ज़रूरत है, मुहब्बत के रिश्तों को जिस आँच की ज़रूरत है और हमारे अदब को जिस सच्चाई की ज़रूरत है, वह सब कुछ वसीम साहब की शायरी में मौजूद है।
जिस तरह इनकी शख़्सियत से हिन्दुस्तानी मिट्टी की महक फूटती है उसी तरह उनके कलाम से हमारी तहज़ीब का नूर झलकता है। मुझे खुशी है कि उनकी शायरी की यह पुस्तक उस दौर में प्रकाशित हो रही है, जब मैं भी मुशायरों के अदबी सफ़र में वसीम साहब का एक सहयात्री हूँ।
Additional information
Binding | Paperback |
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ISBN | |
Authors | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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