Anmol Dohe

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Anmol Dohe

Anmol Dohe

80.00 79.00

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Author: Swami Avdheshanand Giri

Availability: 10 in stock

Pages: 160

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 9788131008065

Language: Hindi

Publisher: Manoj Publications

Description

अनमोल दोहे

अपनी बात

लोगों की अकसर यह मान्यता रही है कि संतों का, जिन्होंने संसार को छोड़ दिया, किसी से कोई लेना-देना नहीं होता। लेकिन यह धारणा मूलत: गलत है। संत-साहित्य इस बात का गवाह है कि व्यक्ति और समाज के हित की चिंता जितनी इन वैरागियों ने की है, संसारियों ने नहीं। ’विचारकों का तो यहां तक मानना है कि जिस प्रकार लोगों को संताप से छुटकारा देने के लिए ईश्वर विविध नाम-रूपों में समय-समय पर अवतरित होता है, उसी तरह संत भी केवल जनहित की कामना से जन्म धारण करते हैं।

वृक्ष कबहुं नहिं फल भखैं, नदी न संचै नीर।

परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर।।

ये विचारक संतों के कार्य को ज्यादा दुष्कर बताते हैं। कारण, अवतार तो अलौकिक कार्यों द्वारा दूसरों पर अपना प्रभाव भी डालते हैं और लोगों को इनके चमत्कारों को नमस्कार करना पड़ता है, जबकि संत इन सबसे दूर रहकर केवल अपने आचरण द्वारा मानवीय एकता का संदेश देते हैं। देखने में आया है कि इनकी अपने जीवन काल में लोगों द्वारा आलोचना ही होती रही। इन्होंने जहां धर्म के नाम पर होने वाले पाखंड का बिना किसी पक्षपात के खंडन किया, वहीं समाज में फैली उन कुरीतियों पर भी गहरी चोट की, जिनकी वजह से लोग लगातार घुटन महसूस कर रहे थे। अपनी बात कहने के लिए इन संतों ने पद्य को विशेष रूप से माध्यम बनाया, विशेषकर दोहों को, क्योंकि इनमें कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कहने की क्षमता होती है-देखन में छोटे लगें, घाव करैं गंभीर।

कभी-कभी तो यह देखकर आश्चर्य होता है कि जिसे कहने में शब्द अधूरे पड़ते हैं, उस भाव को ये संत कवि एक दोहे में कह जाते हैं। संतों ने अपनी रचनाओं में ज्यादातर बोलचाल की सामान्य भाषा का प्रयोग किया है, अतएव ये जनसामान्य के लिए उपयोगी हैं।

आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द जी महाराज ने भारतीय और पाश्चात्य दार्शनिकों का गहन अध्ययन किया है। आपका पुराण-साहित्य पर भी पूर्ण अधिकार है। ’स्वान्तः सुखाय’ और कठिन कथ्य को सरलतम रूप में प्रस्तुत करने के लिए महाराज श्री संतों के दोहों को उद्धृत करते हैं। ऐसे दोहों को ही इस संकलन में अर्थ सहित प्रस्तुत किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि इन दोहों का स्वाध्याय और चिंतन-मनन आपकी ऐसी अनसुलझी ग्रंथियों को खोल देगा, जिनके कारण आपका जीवन अशांत और दुविधा के जाल में जकड़ा हुआ है।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

Pulisher

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