Ant Ka Ujala

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Ant Ka Ujala

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250.00 210.00

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Author: Krishna Baldev Vaid

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126722945

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अन्त का उजाला

यह वाक्य प्रायः सुनने को मिलता है कि हिंदी में मौलिक नाट्यालेखों का अभाव है। इस अभाव को कृष्ण बलदेव वैद सरीखे वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित रचनाकार काफी हद तक दूर करते हैं। भूख आग है, हमारी बुढिया, सवाल और स्वप्न एवं परिवार अखाड़ा जैसे उनके उल्लेखनीय नाटकों ने हिंदी रंगकर्म को पर्याप्त समृद्ध किया। इसी क्रम में कृष्ण बलदेव वैद का नया नाटक ‘अंत का उजाला’ कुछ नए रचनात्मक प्रयोगों के साथ उपस्थित है। यह विदित है कि वैद भाषा में निहित अर्थों व ध्वनियों के साथ मानीखेज खिलवाड़ करते हैं। कथ्य और शिल्प में नए प्रयोग करते हुए वे किसी बड़े जीवन सत्य को रेखांकित करते हैं ‘अंत का उजाला’ जीवन की वृद्धावस्था में ठहरे पति-पत्नी की मनोदशा को एक ‘अनौपचारिक भाषिक उपक्रम’ में व्यक्त करता है।

सावधानी से पढ़े अनुभव करें तो पूरा नाटक प्रतीकों से भरा है। लेखक एक स्थान पर कहता है, ‘एक आदर्श प्रतीक की तरह उसे याद भर किया है। खाने और पीने को भी एक प्रतीक ही समझो।’ नाटक बड़े सलीके से जीवनान्त के उजाले को संवादों में शामिल करता है। दो पात्रों के सुदीर्घ साहचर्य से उत्पन्न जीवन रस पाठकों को अभिभूत करता है। प्रयोगात्मकता और प्रतीकधर्मिता के कारण ‘अंत का उजाला’ नाटक महत्त्वपूर्ण हो उठता है।

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Authors

Binding

Hardbound

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Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

Language

Hindi

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