Apni Apni Bimari
Apni Apni Bimari
₹195.00 ₹155.00
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Author: Harishankar Parsai
Pages: 140
Year: 2023
Binding: Paperback
ISBN: 9789387024502
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
अपनी-अपनी बीमारी
हास्य और व्यंग्य की परिभाषा करना कठिन है। यह तय करना भी कठिन है कि कहाँ हास्य ख़त्म होता है और व्यंग्य शुरू होता है। व्यंग्य से हँसी भी आ सकती है, पर इससे वह हास्य नहीं हो जाता। मुख्य बात है कथित वस्तु का उद्देश्य और सरोकार क्या है। व्यंग्य का सामाजिक सरोकार होता है। इस सरोकार से व्यक्ति नहीं छूटता। श्रेष्ठ रचना चाहे वह किसी भी विधा में क्यों न हो, अनिवार्यतः और अन्ततः व्यंग्य ही होती है। इस अर्थ में हम व्यंग्य को चाहें तो तीव्रतम क्षमताशाली व्यंजनात्मकता के रूप में देख सकते हैं। व्यंग्य सहृदय में हलचल पैदा करता है।
अपने प्रभाव में व्यंग्य करुण या कटु कुछ भी हो सकता है, मगर वह बेचैनी ज़रूर पैदा करेगा। पीड़ित, मजबूर, ग़रीब, शारीरिक विकृति का शिकार, नारी, नौकर आदि को हास्य का विषय बनाना कुरुचिपूर्ण और क्रूर है। लेखक को यह विवेक होना चाहिए कि किस पर हँसना और किस पर रोना। पीटनेवाले पर भी हँसना और पिटनेवाले पर भी हँसना विवेकहीन हास्य है। ऐसा लेखक संवेदना-शून्य होता है।
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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