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Description
आरम्भ है प्रचण्ड
हिंदी फिल्मों के गाने अब हिंदी कविता और उर्दू शायरी का विस्तार-भर नहीं रह गए, अब वे अपने आप में एक स्वतंत्र विधा हैं। उनके लिखने का ढंग अलग है। वे अपनी बात भी अलग ढंग से कहते हैं। उनकी बिम्बों की योजना, शब्दों का चयन और संगीत के साथ उनकी हमकदमी उन्हें पढ़ी जाने वाली कविता से अलग बनाती है। इसलिए उनको पाठ में देखना भी उन्हें जैसे नए सिरे से जानना होता है। और ये पीयूष मिश्रा के गाने हैं।
पीयूष मिश्रा जो अभिनेता हैं, संगीतकार हैं, और थियेटर के एक बड़े नाम ही नहीं, एक मुहावरा रहे हैं। ये गाने उन्होंने या तो फिल्मों के लिए ही लिखे या अपने लिए लिखे और फिल्मों ने उन्हें ले लिया। पीयूष मिश्रा की बिम्ब-चेतना का विस्तार बहुत व्यापक है। वे समाज से, देश-विदेश की राजनीति से, व्यक्ति और समाज के आपसी द्वंद्व से विचलित रहते हैं, उन पर सोचते हैं। और इसलिए जब वे किसी दिए गए फिल्म-दृश्य को अपने गीत की ले में विजुअलाइज करते हैं तो उनकी कल्पना उसकी सीमाओं को लाँघकर दूर-दूर तक जाती है। वे सामने मौजूद पात्रों के परिवेश को व्यापक सामाजिक-राजनीतिक सन्दर्भों में रूपायित करते हैं और पर्दे पर मौजूद दृश्य की साक्षी आँखों को सोचने का एक बड़ा परिदृश्य देते हैं।
पीयूष मिश्रा के गीत चरित्रों के संवाद नहीं होते, उनकी नियति की व्याख्या होते हैं। गैंग्स ऑफ वासेपुर और गुलाल जैसी फिल्मों के गाने हिंदी फिल्म गीतों के इतिहास का एक अलग अध्याय हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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