Areba-Pareba
Areba-Pareba
₹299.00 ₹229.00
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Author: Uday Prakash
Pages: 236
Year: 2020
Binding: Paperback
ISBN: 9789387648432
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
अरेबा-परेबा
मैंने एक नहीं, कई तरह की कहानियाँ लिखी हैं। कई-कई रूपों, शिल्प-शैलियों, संरचनाओं और आकारों की कहानियाँ। कुछ कहानियाँ बहुत लम्बी हैं – लगभग उपन्यास की सरहद को छूती हुई। कुछ आलोचक (उनसे कैसे बचा जा सकता है ?) इन्हें कहानियाँ मानने से इनकार करते हुए, उन्हें ‘नॉवेला’ (लघु उपन्यास) घोषित करते हैं। ‘पीली छतरी वाली लड़की’, ‘वारेन हेस्टिंग्स का साँड़’ या ‘…और अन्त में प्रार्थना’ ऐसे ही लम्बे आख्यान हैं। लेकिन मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ कि इन रचनाओं का गठन, इनका विन्यास और इनकी आन्तरिक संरचना उपन्यास की तरह नहीं है। साधारण प्रचलित कहानियों के मुकाबले कई बार लगभग दस गुना लम्बी ये कहानियाँ इतने पृष्ठों के विस्तार के बावजूद अपनी गति और आवयविक बनावट में अन्ततः कहानियाँ ही हैं, ‘लघु’ या ‘दीर्घ’ उपन्यास नहीं। मैं हिन्दी ही नहीं, अन्य भाषाओं के पाठकों का भी हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने आख्यान के इलाके में मेरे कई आकस्मिक प्रयोगों और दुस्साहसिकताओं को समूची आत्मीयता से अपनाया और स्वीकार किया।
‘‘उदय प्रकाश की रचनाओं पर विचार करते समय हमेशा अन्याय होता है। तारीफ़ भी ग़लत की जाती रही है। उनके लेखन की वास्तविक पहचान यदि हो जाये, तो एक पूरी धारा टूट जाये। वे कथा-साहित्य का रचनात्मक विकल्प खोजने वाले महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं।’’
– मुद्राराक्षस
‘‘उदय प्रकाश समाज के हाशिए में जीने वाले लोगों के कहानीकार हैं। वे समाज की विद्रूपताओं को बेनकाब करते हैं। समर्थों द्वारा असमर्थों को दबाने-कुचलने के षड्यन्त्रों की पोल खोलते हैं। उनकी कहानियों में एक प्रयोग है, डिबिया में बन्द धूप के टुकड़े की सी मासूमियत है, किशोर मन का सपना है अजाने सुख को स्पर्श करने का, युवा भावों की कोमलता है, साथ ही अभाव का, कुछ छूट जाने का, कुछ न पाने की कमी का अहसास है, ज़िन्दगी का यथार्थ है। उदय प्रकाश सम्भवतः इस पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ कथाकार हैं, न सिर्फ़ हिन्दी में, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं में…’’
– प्रसन्ना, रंगकर्मी एवं एक्टिविस्ट
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
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Publishing Year | 2020 |
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