- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
अर्थात्
अमिताभ चौधरी की कविताएँ सान्द्र व्यंजना की गति में सम्पृक्त मार्ग पर उपस्थित हैं। मितकथन से प्रस्थान करता कवि धीरे-धीरे वागर्थ के गहनतर विस्तार में उतरता चला जाता है। ये कविताएँ जीवन की मरुभूमि में कुम्हलाई संवेदनाओं को सींचती हैं। पथराई शुष्क आँखों में झील आँक देना कवि की अपनी विशिष्ट शैली और पहचान है। अमिताभ के यहाँ प्रयुक्त बिम्ब वायवी और अनचीन्हे नहीं हैं। संश्लिष्ट भाषा में ये पूरी मार्मिकता के साथ हमारे स्नायु में घुलते हैं।
‘अर्थात्’ में संकलित कविताएँ उस महत् भावभूमि का पुनरवलोकन हैं, जो जीवन की अन्यान्य व्यस्तताओं में हम से कहीं छूट गयी हैं। कवि अपनी अन्तर्दृष्टि और विश्वसनीय अनुभूति से जब उन भावों को उदबुद्ध करता है तो सहज ही वे अपने मूल्यों के साथ चित्त पर स्थिर हो जाते हैं। सुख-दुःख के ऐसे नाना भावों को कवि बड़ी मार्मिकता से उद्दीप्त करता चला जाता है। अमिताभ की कविताओं में एक कलात्मक वैशिष्ट्य है, जो बहुत कुशलता के साथ उपस्थित हुआ है। अपने अभिप्रेत को ध्वनित करने के लिए बहुधा वे शब्दों के मध्य में स्वच्छन्द अन्तराल छोड़ देते हैं, जो एक संवेगात्मक अर्थदीप्ति से भर उठता है।
कहने के विलक्षण ढंग, प्रस्तुति की अभिनव शैली और समर्थ भाषा के साथ विशिष्ट शिल्प में बुनी गयीं ये कविताएँ अपनी प्रभविष्णुता में अन्यतम हैं। यहाँ काव्यभंगिमा तिर्यक है। सामान्य कथन और इकहरी अर्थ-योजना की इयत्ता के बाहर कवि कभी चित्त को उसके सौन्दर्य की गरिमा से भर देता है-कभी गम्भीर एकाकीपन और चिर-प्रतीक्षा में अभिभूत छोड़ जाता है। क्षण की अक्षुण्ण स्थापना के भीतर भी वह सहसा सब कुछ कह जाने के लोभ से मुक्त दिखाई देता है-अर्थात् ‘उसे समय चाहिए!’ प्रेम-सम्बन्धों में भी वह बड़ी धीरता और मार्दव के साथ उतरता है-उसका राग जितना अरुणिम है, उतना उदात्त भी।
– अम्बुज पाण्डेय
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.