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Description
आर्यभट
आर्यभट 19 अप्रैल, 1957 को भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने प्रथम कृत्रिम उपग्रह को आकाश में छोड़ा। उपग्रह का नाम था – आर्यभट। लेकिन सुप्रसिद्ध विज्ञान लेखक गुणाकर मुले की यह पुस्तक उस उपग्रह की कहानी नहीं है, बल्कि यह कहानी है आर्यभट नामक उस महान आचार्य की, जिसकी याद में उपग्रह का नाम ‘आर्यभट’ रखा गया था। प्राचीन भारत के उन महान गणितज्ञ और खगोलविज्ञानी का जन्म कहाँ और कब हुआ, किस प्रकार उन्होंने धरती के अपनी धुरी पर घूमने और तारामंडल के स्थिर रहने की घोषणा की, किस प्रकार सूर्य चंद्र-ग्रहण के बारे में प्रचलित अंधिविश्वास का खंडन किया, किस तरह गणित के क्षेत्र में विशिष्ट समीकरणों को हल करने का तरीका खोजा तथा किस प्रकार अपने क्रांतिकारी विचारों, सिद्धांतों और स्थापना को एक पुस्तक में लिपिबद्ध किया – इन सब तथ्यों को इस पुस्तक में अत्यंत प्रामाणिक और रोचक तरीके से रखा गया है। भाषा-शैली इतनी सरल और उत्सुकतापूर्ण है कि कोई भी पाठक आद्वत पढ़े बिना इसे नहीं रखेगा।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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