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Description
आर्यनंद और जीवन मुकुट
बर्नर बैंडेल (जन्म 1961, बेट्ज़तर, जर्मनी) ने का में स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में फोटोग्राफी का अध्ययन किया। 1970 में महर्षि महेश योगी के द्वारा उनका पारलौकिक ध्यान (टीएम) से परिचय हुआ और उनकी रचनात्मक क्षमता का वास्तविक विकास इस सरल मानसिक तकनीक के नियमित अभ्यास से ही शुरू हुआ। उनका रुझान धीरे-धीरे फोटोग्राफी से पेंटिंग की तरफ हो गया। ‘करके सीखना हमेशा से उनका आदर्श वाक्य रहा है, और चित्रकला और चित्रण के क्षेत्र में वे एक स्व-शिक्षित कलाकार हैं। भारत के समृद्ध वैदिक साहित्य से प्रेरित, आर्यनंद एंड द क्राउन ऑफ लाइफ’ की परिकल्पना वर्नर की पहली भारत यात्रा पर वैदिक विज्ञान और आधुनिक विज्ञान पर एक सम्मेलन के लिए की गई थी, जो 1981 में नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। लेखक द्वारा दृष्टांतों के लिए पांडुलिपि और रेखाचित्र इस सम्मेलन के दौरान बनाए गए थे। यह कहानी एक परी कथा की तरह लगती है। इसे परियों की कहानी की तरह ही पढ़ा जा सकता है, किंतु यह एक परी कथा नहीं है। मनुष्य के जीवन में कई रहस्य होते हैं, और ‘जीवन के मुकुट’ को प्राप्त करना ही उसका उच्चतम उद्देश्य हो सकता है। हालाँकि, वास्तविक ज्ञानी ही इस मुकुट के बारे में जानते हैं और यह भी कि इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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