Aseemit Noton Ke Dhan-Varsha

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Aseemit Noton Ke Dhan-Varsha

Aseemit Noton Ke Dhan-Varsha

400.00 399.00

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400.00 399.00

Author: Divesh Kumar Bhatt

Availability: 4 in stock

Pages: 192

Year: 2015

Binding: Paperback

ISBN: 0000000000000

Language: Hindi

Publisher: Randhir Prakashan

Description

असीमित नोटों की धन-वर्षा

अति आवश्यक

(प्रथम संस्करण की भूमिका)

 

एक प्रश्न यह भी है कि क्या पुस्तक में दी गई क्रियाएं धन प्राप्ति का उचित माध्यम है अथवा उपयुक्‍त है ? यदि नहीं तो क्यों आर्थिक आबादी का बीसवां भाग इन कार्यों में समय एवं धन बर्बाद कर रहा है ?

यदि हाँ तो क्या धन प्राप्ति के इस शार्टकट पर थोध किया गया ? निश्चित रुप से नहीं। सर्वेक्षण के पश्चात एक ही बात कही जा सकेगी कि उक्त कार्यों में लिप्त जनसमूह दिग्भ्रमित हैं। साथ ही इनके पास किसी प्रकार की शोध सामग्री तथा ग्रंथ नहीं है।

सर्वेक्षण के साथ ही लेखक ने प्रयास किया कि नोटों की बरसात एवं अन्य चमत्कारों को प्रत्यक्ष रूप से देखें, बंदर छाप सिक्के को लौंग एवं चावल खींचते देखा भी किन्तु सिर्फ बकवास साबित हुआ। अपितु अंडे पर अंकों का प्रिंट एवं हिरन छाप पांच रुपए को आग खींचते देखा भी किन्तु अद्यतन सफलता शून्य रही।

निष्कर्ष यह है कि सत्य को रेखांकित कर मानव कल्याण में उक्त कार्यों की उपयुक्‍तता प्रतिपादित करना अनिवार्य है। भारतीय दण्ड विधान संहिताओं के अंतर्गत पुस्तक में वर्णित प्रायः समस्त कार्य यथा “नोटों की बरसात’’ या “गढ़ा धन’’ उत्खनन आदि की योजना बनाना भी अपराध है।

अतः पाठकों से अनुरोध है कि पुस्तक को ज्ञानार्जन का माध्यम मानते हुए प्रकाशित में होने वाले अनेक चमत्कारों यथा गणेशजी की प्रतिमाओं ने दूध पिया (1996) एवं हनुमान जी की प्रतिमाओं में आँसू निकले (2007) तथा समुद्र का पानी मीठा होना (मुंबई 2007) आदि की श्रृंखला में पुस्तक में वर्णित तथ्यों को सर्वेक्षण का निष्कर्ष माने तथापि ये परिकल्पनाऐं एवं अध्ययन प्रविधि उक्त विषय का शोध का विषय अवश्य मानती है।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2015

Pulisher

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