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Description
आशा : बारहखड़ी विधाता बाँचे
आशा : बारहखड़ी विधाता बाँचे – यह जो छोटा-सा उपन्यास है आशा: बारहखड़ी विधाता बाँचे आधुनिक होते गाँवों की कहानी कहता है। समय किसी के लिए नहीं रुकता है, वह अपनी चाल चलता जाता है अहर्निश! सरकार की अत्यन्त ज़मीनी योजनाओं का सच कब का धराशायी हो गया होता यदि गाँव ख़ुद न जग गया होता। जगते हुए गाँव की मेरुदंड हैं युवा स्त्रियाँ। यही चमकती हुई रजतरेखा है जिससे आशा जगती है कि अब बारहखड़ी विधाता नहीं मनुष्य स्वयं बाँचेंगे। उपन्यास की कथा आशा कार्यकर्ताओं के इर्द-गिर्द चलती है जो महामारी के विकट काल में सचमुच गाँवों में आशा की किरण लेकर आयीं। उनके संघर्ष, उनकी जिजीविषा तथा उनके जय की कथा है आशा। गाँव का पकड़ुआ विवाह है जो पीड़ित बालक-बालिका को शिक्षा के माध्यम से मज़बूत होता दिखाता है, संकेत है कि परिवर्तन इनके हाथों में है और अब ये इसका इस्तेमाल कर गुज़रेंगे। यह छोटा-सा उपन्यास आशा गाँव के परिवर्तन के विराट फ़लक की झलक दिखाता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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