Asia Ke Hridayanchalon Mein Bharat-Bharati
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Description
एशिया के हृदयांचलों में भारत-भारती
कहते हैं विश्व में ज्ञान और सभ्यता की पहली किरण आर्यावर्त में फूटी। सदियों पूर्व वेद की रचना करने वाली यह आर्य भूमि, कालांतर में ‘भारत’ के नाम से विश्वप्रसिद्ध हुई, जिसने विश्व को ‘वेद’ और ‘शून्य’ देकर ज्ञानजोत से प्रकाशित और समृद्ध किया। भारत-भारती की भाषा, ज्ञान, सभ्यता और संस्कृति की इस मनीषा ने एशिया के हृदयांचलों और योरोप तक को समृद्ध, चमत्कृत और कृतकृत्य किया। भारत और भारतीयता की भाषायी पहचान, संस्कृत ने योरोपीय भाषाओं तक को गहरे प्रभावित किया था। इसके साथ ही, यह भी सत्य है कि मानव-मनीषा को भारत के अवदानों में राम, रामायण, हिंदू संस्कृति, बुद्ध और महावीर का सर्वोपरि स्थान रहा है। प्रखर भारतविद् और भारतीय संस्कृति के गहरे जानकार, विद्वान लेखक प्रो. लोकेशचंद्र ने एशिया के हदयांचलों तथा योरोप तक में भारत, भारती और भारतीयता के प्रचार-प्रसार की त्रिवेणी धारा को अपनी लेखनी की जटा में बाँधकर ज्ञान और जानकारी की जो अविरल धारा इस पुस्तक के रूप में प्रवाहित की है वह केवल भारत के पाठकों को ही नहीं, वरन संपूर्ण विश्व और मानवता को ज्ञान से प्लावित, चकित और चमत्कृत करेगी। पाठक प्राचीन भारत की मेधा, मनीषा और प्रतिभा का इस पुस्तक में दिग्दर्शन कर सकते हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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