Astachal Ki Or – Part 1

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Astachal Ki Or – Part 1

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Author: Gurudutt

Availability: 5 in stock

Pages: 384

Year: 2011

Binding: Paperback

ISBN: 8188388904

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

अस्ताचल की ओर – भाग 1

प्रथम परिच्छेद

:1:

पण्डित शिवकुमार को त्रिविष्टप की राजधानी में रहते हुए छत्तीस वर्ष व्यतीत हो चुके थे। वह अभी तक भी राजगुरु के पद पर आसीन था। यद्यपि जिस राजा ने उसको इस पद पर प्रतिष्ठित किया था उस राजा संजीवायन लामा का देहान्त हो चुका था। उसका देहान्त तो शिवकुमार के आने के दस वर्ष उपरान्त ही हो गया था। उस समय जो युवराज पद पर था वह इस समय राजा के पद पर आसीन हो राज्य कर रहा था। उसको राज्य करते हुए छब्बीस वर्ष हो गये थे।

संजीवायन लामा ने तत्कालीन महामन्त्री त्रिभुवन थापा के पुत्र कीर्तिमान को युवराज पद पर प्रतिष्ठित किया था। वही इस समय त्रिविष्टप का राजा था। महामन्त्री त्रिभुवन का भी बहुत पहले देहान्त हो चुका था।

इस अवधि में राज्य और देश की स्थिति में भी पर्याप्त अन्तर आ चुका था। उस समय, जब शिवकुमार इस देश में आया था, इस देश की जनसंख्या बहुत कम थी। किन्तु अब इसके ग्रामों और नगरों की जनसंख्या लगभग द्विगुणित हो गई थी। तदपि राज्य-व्यवस्था इतनी सुव्यवस्थित थी कि न तो कोई व्यक्ति भूखा सोता था और न ही कोई निर्वस्त्र रहता था। जीवन अति सुलभ और सरल था। उस राज्य में अन्न, वस्त्र और रहने के लिए निवास योग्य भूमि आदि बड़ी ही सुगमता से उपलब्ध थे।

देश में व्यापार पनप रहा था। उद्योगधन्धे भी प्रगति कर रहे थे। देश-विदेश से व्यापार किया जाता था। उस देश का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसे बेकार अथवा बेरोजगार कहा जा सके। परिवार में सुख और शान्ति थी। इस प्रकार यह देश सुख और आनन्द का धाम बना हुआ था।

राज्य के विद्वान मन्त्रियों के परामर्श पर जब देश के चिकित्सालय, आतुरालय और रुग्णालय आदि राज्य की ओर से चालू किये गये थे तो उस समय महाराज ने राजगुरु से प्रश्न किया था, ‘‘पण्डितजी ! इनकी स्थापना से देश में मृत्यु-संख्या पर नियंत्रण लग जायेगा, प्रजा स्वस्थ रहेगी, इससे जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होगी और उसका परिणाम होगा बेकारी का बढ़ना और फिर उससे लोग भूखे मरने लग जायेंगे,000 प्रजा भोजन और वस्त्र आदि का अभाव अनुभव करने लगेगी ?’’

शिवकुमार का कहना था—‘‘महाराज ! वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि का जनसंख्या में वृद्धि से कोई सम्बन्ध नहीं है। अपितु इसका मुख्य कारण अयोग्य व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि। अन्नादि आवश्यक सामग्री यदि सस्ती भी हुई किन्तु जनता अयोग्य और अज्ञानी हुई तो वह भूखी और दुःखी ही रहेगी। जनसंख्या में वृद्धि से तो अन्न के उत्पादकों में ही वृद्धि होती है। हाँ, यदि मातायें सन्तान उत्पन्न करती जाएँ और पिता अपनी सन्तान को उचित शिक्षा न दें तो देश में धन-धान्य में वृद्धि होने पर भी भुखमरी का वातावरण बन जायेगा।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2011

Pulisher

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