- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
अस्तित्व और पहचान
किन्नर या हिजड़ों की उपस्थिति भारतीय समाज में ऋग्वेद काल से होने के प्रमाण लिखित रूप में उपलब्ध हैं। किन्नरों की सबसे बड़ी समस्या है समाज द्वारा उन्हें अस्वीकार किया जाना। जिस परिवार में उनका जन्म होता है वहां से लेकर समाज के अन्य हिस्सों में थर्ड जेंडर मानवों को सिर्फ उपेक्षा और तिरस्कार के अतिरिक्त कुछ और नसीब नहीं होता है। अस्तित्व और अस्मिता की तलाश के लिए छटपटाहट के वर्तमान युग में हर व्यक्ति स्वयं को तलाशने हेतु अपने-अपने स्तर पर प्रयासरत है।
हिंदी साहित्य में उपन्यास, कहानी, जीवनी, आत्मकथा आदि के माध्यम से थर्ड जेंडर समुदाय की संवेदना को प्रस्तुत किया जा चुका है और कई लेखकवृंद इन विधाओं में कार्य कर रहे हैं। कविता के क्षेत्र में छुट-पुट कविताएं तो पाई गई हैं लेकिन समग्र रूप से कोई संकलन प्रकाशित हुआ है ऐसा संज्ञान में नहीं आया है। इस संग्रह की कविताएं निश्चित रूप से थर्ड जेंडर समुदाय के जीवन से संबंधित विविध पक्षों को प्रस्तुत करने की दिशा में काव्य लेखन का सराहनीय प्रयास माना जा सकता है।
मुझे पूरा-पूरा विश्वास है कि प्रस्तुत कविता संग्रह थर्ड जेंडर समुदाय की संवेदना को जन-जन तक पहुंचाने में सफल होगा तथा शोधार्थियों के लिए अध्ययन के नए आयाम प्रस्तुत करेगा।
– संपादक
Additional information
Binding | Hardbound |
---|---|
ISBN | |
Authors | |
Publishing Year | 2019 |
Language | Hindi |
Pages | |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.