Ateet Hoti Sadi Aur Stree Ka Bhavishya

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Ateet Hoti Sadi Aur Stree Ka Bhavishya

Ateet Hoti Sadi Aur Stree Ka Bhavishya

695.00 525.00

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Author: Rajendra Yadav

Availability: 1 in stock

Pages: 284

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126701490

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य

लोकप्रिय कथा-मासिक हठ ने पिछले वर्षों में औरत उत्तरकथा और अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य नाम से विशेषांकों का आयोजन किया था। इस किताब की आधार सामग्री अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य विशेषांक से ली गई है। उपरोक्त विशेषांकों की अपार लोकप्रियता और अनुपलब्धता के मद्‌देनजर कुल सामग्री को पुस्तकाकार प्रकाशित करने की योजना को अमली जामा पहनाने के क्रम में यह किताब आपके हाथों में है। आज जब हम नई सदी में कदम रख चुके हैं, हमें हर क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों और अधूरे कामों की फेहरिस्त हर चंद अपने सामने रखनी चाहिए। बीती सदी की एक सतत्-सुदीर्घ जद्‌दोजहद के दौरान स्त्रियों ने अपने हार्दिक मनोभावों को अभिव्यक्त करने की जो बेचैन कोशिशें की हैं, उनसे गुलामी को स्थायित्व देने वाली नाना प्रकार की प्रवृत्तियाँ और शक्तियाँ बेपर्दा होती जाती हैं। पहली बार स्त्रियाँ उन समस्याओं पर उँगली रखने खुद सामने आई हैं जो सेक्स के आधार पर अलगाए जाने से जन्म लेती हैं।

पुस्तक के शुरुआती खंड में शामिल आत्मकथ्यों पर नजर डालें तो पाएँगे कि वहाँ स्त्रियाँ अपनी आकांक्षाओं-स्वप्नों और संघर्षों की अक्कासी के लिए भाषा को एक नया हथियार बनाए मौजूद हैं-पर्दे और गुमनामियत से बाहर-पुरुषों की दया-सहानुभूति से परे। पितृ-सत्ता के षड्यंत्र और स्त्री छवि खंडों में दोनों दृष्टिकोणों को साथ-साथ रखकर जटिलता को उसके पूरेपन में पकड़ने की कोशिशें की गई हैं। यह सारा उद्यम इस एक संकल्प के इर्द-गिर्द है कि नई सदी में भारतीय समाज नए मूल्यों, नए सम्बन्धों, नए व्यवहार, नई मानसिकता की ओर अग्रसर होगा। आने वाली सदी में स्त्रियों की मुक्ति के सवालों के जवाब ही देश में आधुनिकता और विकास के चरित्र को तय करेंगे।

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Hardbound

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Publishing Year

2018

Pulisher

Language

Hindi

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