Aur Vivek Nahin Lota

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Aur Vivek Nahin Lota

Aur Vivek Nahin Lota

160.00 150.00

In stock

160.00 150.00

Author: Anil Kumar Sinha

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2003

Binding: Hardbound

ISBN: 818806033X

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

और विवेक नहीं लौटा

कहानीकार के रूप में लेखक ने ‘दोपहर की धूप’ जैसी कृति के माध्यम से अपनी सशक्त उपस्थिति कुछ समय पूर्व ही दर्ज करा दी थी। उसे भरपूर सराहना एवं हिंदी अकादमी की ओर से सम्मान भी मिला है। “और विवेक नहीं लौटा” उनका तीसरा कहानी-संग्रह है। और इसकी कहानियों से स्पष्ट है कि उन्होंने एक और मंजिल पार कर ली है।

प्रस्तुत कहानी-संग्रह की भूमिका के माध्यम से कहानीकार अनिल कुमार सिन्हा ने अपने ही कौशल से हिंदी लेखन के विचारार्थ कुछ सबल प्रश्न भी उठाए हैं। उनको महसूस हो रहा है कि पिछली पीढ़ी के बाद आज की भाषा काफी बदल-सी चली है। “आसपास जो ढेर सारे मुहावरे और शब्द हुआ करते थे, आज की भाषा में उनका इस्तेमाल कम से कमतर होता जा रहा है।” उसका कारण चाहे कुछ भी हो, “उन शब्दों और मुहावरों को खोकर’ उनको लगता है कि उनकी भाषा पराभव की ओर जाएगी। “हर पुरानी चीज और परंपरा को बिना सोचे-समझे खारिज कर देने की प्रवृत्ति उनको खरोचती है।

किंतु इस संग्रह में प्रस्तुत कहानियां ठोस साक्ष्य उपस्थित करती हैं कि उनकी भाषा पहले की अपेक्षा न तो पराभवोन्मुखी होती है न उनको कहानी के अपने ही ठोस शिल्प से विचलित करती है। इन कहानियों में छोटी-मोटी सूक्ष्म स्थितियों को पकड़कर सशक्त कहानी प्रस्तुत कर देने का सामर्थ्य लेखक के पास कथा के अजस्र स्रोत का साक्षी है। वह जब चाहें, और जिस स्थिति को भी चाहें, अपनी अनुभूतियों के गरिमामय तत्त्व से शोधकर परिपक्व रचनाएं प्रस्तुत करने में समर्थ हैं। आधुनिकता के नाम पर सेक्स के नग्न वृत्तांतों को पेंट करके क्रांति कर देने का दंभ करने वाले रचयिताओं के लिए यह एक आदर्श कृति तो होगी ही, कहानी साहित्य के प्रेमियों के लिए हवा के एक ताजे सुरभित झोंके के समान सुखद भी लगेगी।

अनुक्रम

  • चार जुलाई
  • बेकूफ
  • बरसात और उसके बाद
  • सविता ठीक कहती है
  • इंदिरा गांधी ने एमरजेंसी सन् पिछत्तर में लगाई थी
  • वापसी
  • अपराध-बोध
  • और विवेक नहीं लौटा
  • शेष संवाद
  • इतना सारा वक्त
  • पालिश-पालिश

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2003

Pulisher

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