Bachchan Rachanawali : Vols. 1-11

-16%

Bachchan Rachanawali : Vols. 1-11

Bachchan Rachanawali : Vols. 1-11

4,500.00 3,800.00

In stock

4,500.00 3,800.00

Author: Harivansh Rai Bachchan

Availability: 2 in stock

Pages: 5629

Year: 2017

Binding: Paperback

ISBN: 9788126729951

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

हिन्दी कविता का एक दौर वह भी था जब हिन्दीभाषी समाज को जीवन के गंभीर पक्ष में पर्याप्त आस्था थी, और कविता भी अपने पाठक-श्रोता की समझ पर भरोसा करते हुए, संवाद को अपना ध्येय मानकर आगे बढ़ रही थी। मनोरंजक कविता और गंभीर कविता का कोई विभाजन नहीं था; न मनोरंजन के नाम पर शब्दकारों-कलाकारों आदि के बीच जनसाधारण की कुरुचि और अशिक्षा का दोहन करने की वह होड़ थी जिसके आज न जाने कितने रूप हमारे सामने हैं, और न कविता में इस सबसे बचने की कोशिश में जन-संवाद से बचने की प्रवृत्ति।

हरिवंश राय बच्चन उसी काव्य-युग के सितारा कवि रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ मंच से अपने पाठकों-श्रोताओं से संवाद किया बल्कि लोकप्रियता के कीर्तिमान गढ़े। कविता की शर्तों और कवि-रूप में अपने युग-धर्म का निर्वाह भी किया और जन से भी जुड़े रहे। यह रचनावली उनके अवदान की यथासम्भव समग्र प्रस्तुति है। रचनावली के इस नए संस्करण में 1983 में प्रकाशित नौ खंड बढ़कर अब ग्यारह हो गए हैं। रचनावली के प्रकाशन के बाद एक स्वतंत्र पुस्तक के रूप में आया बच्चन जी की आत्मकथा का चौथा भाग खंड दस में और पत्रों समेत कुछ अन्य सामग्री खंड ग्यारह में ली गई है। रचनावली के इस पहले खंड में इन रचनाओं को लिया गया है : ‘मधुशाला’ (1935), ‘मधुबाला (1936)’, ‘मधुकलश’ (1937), ‘निशा निमंत्रण’ (1938), ‘एकान्त संगीत’ (1939), ‘आकुल अन्तर’ (1943), ‘सतरंगिनी’ (1945), ‘हलाहल’ (1946), ‘बंगाल का काल’ (1946), ‘खादी के फूल’ (1948) और ‘सूत की माला’ (1948) शीर्षक पुस्तकें यहाँ संकलित हैं।

बच्चनजी की आरम्भिक रचनाओं की सूची में ‘तेरा हार’ 1932 में छपा भी था पर बाद में उसका समावेश बच्चनजी की ‘प्रारम्भिक रचनाएँ—भाग-1’ (रचनावली, खंड-3) में हो गया, जबकि ‘विकल विश्व’ की विज्ञप्ति मात्र प्रकाशित हुई थी; उसकी कुछ कविताएँ ‘आकुल अन्तर’ (रचनावली, खंड-1) में और शेष ‘धार के इधर-उधर’ (रचनावली, खंड-2) में सम्मिलित कर ली गई थीं। ‘विकल विश्व’ के नाम से कभी कोई संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Bachchan Rachanawali : Vols. 1-11”

You've just added this product to the cart: