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Description
बंदिनी
तसलीमा नसरीन की ख्याति उनके उपन्यासों, उनकी आत्मकथा और स्त्रियों की मुक्ति से सम्बन्धित उनके लेखों के आधार पर निर्मित हुई है। लेकिन यह भी सच है कि वे एक संवेदनशील कवयित्री भी हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में भी उन विचारों को एक भिन्न रूपाकार में व्यक्त करने की कोशिश की है जो उन्होंने अपनी अन्य कृतियों में व्यक्त किये हैं और जिनका सम्बन्ध मनुष्य, समाज और राजनीति से है। हालाँकि जैसा कि उन्होंने ख़ुद कहा है, ‘मैंने राजनीति कभी नहीं की। राजनीति की समझ भी मुझे कम है। लेखक-कलाकारों को लेकर राजनीति करना क्या बन्द नहीं हो सकता ? लेखक/लेखिका को क्या लिखने और मुक्त चिन्तन का परिवेश नहीं दिया जाना चाहिए ? जी हाँ, मेरी अपील है कि लेखक/लेखिका को लिखने का अधिकार दिया जाए।
राजनीति से कोई वास्ता न रखने का दावा करने के बावजूद जब तक मनुष्य की मुक्ति का सम्बन्ध किसी समाज और उसकी राजनैतिक व्यवस्था से हैं तब तक साहित्य का राजनीति से अलग होना सम्भव नहीं है। प्रकट ही एक बेहतर और मानवीय समाज व्यवस्था के लिए जो प्रयत्न किये जायेंगे वे विचार और संवेदना, दोनों ही की माँग करेंगे। तसलीमा की कविताएँ इसी मानवीय व्यवस्था के लिए संवेदना और विचार को प्रस्तुत करती हैं। यही उनकी सफलता का राज़ है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
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