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Description
बीती आप बीती आप
डायरी लिखना आसान काम है। आदमी बात बिना लागलपेट के कह दे सकता है। ऐसी कही हुई बात अपने-आप सत्य लगने लगती है। डायरी निजी होती है और मान कर लिखी जाती है कि लिखने वाले के मरने के बाद छपेगी। इसलिए सत्य ज़रा सहूलियत के साथ अंकित किया जा सकता है। बेशर्म होने की बेबसी नहीं उठानी पड़ती। या कविता या कहानी या नाटक की सजावट में धीरे से उसे कह देने की तरकीब नहीं लगानी पड़ती। छोटी दुर्घटना को बड़ी दुर्घटना में नहीं बदलना पड़ता। छोटी दुर्घटनाएँ दुर्घटनाओं की दुश्मन होती हैं।
जब आदमी डायरी लिखने लगता है तब कविता लिखना बन्द कर देता है। कविता के लिए ज़िन्दगी कच्चा माल है। क्या यह उचित है ? ज़िन्दगी बनने के लिए कविता का भी तो कच्चे माल के रूप में उपयोग करती है। नहीं तो कविता पढ़ी क्यों जाय ! कविता और ज़िदगी की यह दोस्ती बनी रहनी चाहिए। दोनों का एक हो जाना ग़लत होगा। यही आत्महत्या है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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