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बेगम मेरी विश्वास
भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना के कालखंड पर आधारित एक वृहत महागाथा जो हमें सन् 1757 के बंगाल के प्रसिद्ध प्लासी के युद्ध के बीच लाकर खड़ा कर देती है।
‘बेगम मेरी विश्वास’ मी मराली विश्वास गाँव-देहात की एक गरीब लड़की है लेकिन कालचक्र के प्रभाव से भारत के इतिहास को बदलने में प्रमुख भूमिका निभाती है। घटना-चक्र से यही मराली विश्वास सिराजुद्दौला के हरम में पहुँचकर मरियम बेगम हो जाती हैं और बाद में क्लाइव के पास पहुँच कर बन जाती है मेरी। हिन्दू, मुसलमान और ईसाई तीन विभिन्न धर्मों के संगम की प्रतीक बन जाती है एक मामूली सी लड़की।
दो इतिहास पुरुष सिराजुद्दौला और क्लाइव के बीच थी एक नायिका मराली यानी बेगम मेरी विश्वास, दोनों शत्रुओं का समान रूप से विश्वास जीतने वाली।
सिराजुद्दौला, क्लाइव और मराली तीनों के माध्यम से दो शती पूर्व के बंगाल के इतिहास से दर्ज घटनाएँ अपने आप आँखों के सामने बिखर जाती हैं।
सिद्ध कथाशिल्पी बिमल मित्र की जादूगरी लेखनी ने इस कथा द्वारा यह सत्य उद्घाटित किया है कि मानव-चरित्र कभी नहीं बदलता। दो सौ वर्ष पूर्व जो लोग थे वे दूसरे नामों से आज भी वर्तमान हैं और यह भी सत्य मूर्त हो उठा है कि देश के कर्णधारों के कारण ही देश का पतन नहीं होता, बल्कि जनसाधारण का सामूहिक चरित्र दोष के कारण होता है।
‘बेगम मेरी विश्वास’ एक भारतवर्ष के अतीत, वर्तमान और भविष्य का तिकोना दर्पण भी है।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2011 |
Pulisher |
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