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भद्रबाहुसंहिता
फलित ज्योतिष में अष्टांग-निमित्त का प्रतिपादन करनेवाला यह एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। निमित्त शास्त्रविदों की मान्यता है कि प्रत्येक घटना के घटित होने के पहले प्रकृति में कुछ विकार उत्पन्न होते देखे जाते हैं जिनकी सही-सही पहचान से व्यक्ति भावी शुभ-अशुभ घटनाओं का सरलता पूर्वक परिज्ञान कर सकता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में उल्कापात, विद्युत्, अभ्र, सन्ध्या, मेघ, वात, प्रवर्षण, गन्धर्वनगर, मेघगर्भ-लक्षण, उत्पात, ग्रहचार, ग्रहयुद्ध, स्वप्न, मुहूर्त, तिथि, करण, शकुन आदि निमित्तों के आधार पर व्यक्ति, समाज या राष्ट्र की भावी घटनाओं-वर्षण-अवर्षण, सुभिक्ष-दुर्भिक्ष, सुख-दुख, लाभ-अलाभ, जय-पराजय आदि इष्ट-अनिष्ट की सूचक अवस्थाओं का प्रतिपादन किया गया है।
डॉ. नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य द्वारा सम्पादित एवं अनूदित यह ग्रन्थ विस्तृत प्रस्तावना के साथ भारतीय ज्ञानपीठ से पहली बार 1958 में प्रकाशित हुआ था। ज्योतिष के अध्येता पाठकों को समर्पित है इसका एक और नया संस्करण-नये रूपाकार में नयी साज-सज्जा के साथ।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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