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Description
भगवान् एकलिंग
दो शब्द
इतिहास घटनाओं का गुम्फन है, किन्तु ऐतिहासिक उपन्यास, इतिहास नहीं होते। यदि ऐसे उपन्यास घटना प्रधान होकर रह जायें तो उनमें मानव की केवल अपरिष्कृत भावनाओं अर्थात् जिज्ञासा, उत्सुकता, आश्चर्य और आशंका का ही स्फुरण और स्पंदन होगा, जबकि उच्च कोटि कीं रचनाओं के लिए अधिक गंभीर और शाश्वत तत्त्व अपेक्षित हैं। प्रस्तुत उपन्यास में रचियता इस दृष्टि से सफल है कि उसने हृदय की समस्त भावनाओं को एक साथ झकझोर ही नहीं दिया प्रत्युत उनके उन्नयन में भी सहायता दी है।
ऐतिहासिक उपन्यासकार के लिए इतिहास का परिवेष्टन एक विकट बन्धन होता है। श्री सुनामी ने इतिहास के यथातथ्य वर्णन में यदि कहीं कल्पना का समावेश किया है तो वह उत्तर-दायित्वपूर्ण और युक्तियुक्त है और उसमें अपूर्व॑ सामंजस्य भी है।
दो संस्कृतियों के संघर्ष काल की यह गाथा बाप्पा रावल और हारीत मुनि के सुप्रसिद्ध व्यक्तित्वों की उज्ज्वल आभा से समृद्ध है। पाठकों के लिए सुनामी की रचनाओं में कितना मनोरंजन, कितनी ज्ञान और कितनी प्रेरणा है इसका निर्णय तो वे स्वयं ही कर सकेंगे। किन्तु हमारी संस्था को यह प्रसन्नता है कि पाठकों ने इस लेखक का मूल्यांकन किया है। सुनामी जी के उपन्यास आखिर जीत हमारी और ‘काफिर’ के समान ही भगवान एकलिंग भी उनकी बहुचर्चित कृति है।
– प्रकाशक
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 1992 |
Pulisher |
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