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Description
भारत गाँधी नेहरू की छाया में
प्राककथन
श्री जवाहरलाल नेहरू एक महान् व्यक्ति थे। बलवान आत्मा और सुदृढ़ शरीर-ऐसा प्रतीत होता है कि आप में पूर्वजन्म की कोई अति पुण्यात्मा विद्यमान थी। मुख में चांदी का चम्मच लिये पैदा हुए; कही जाने वाली श्रेष्ठतम शिक्षा प्राप्त करने का अवसर आपको मिला; भारत के एक सम्मानित परिवार में जन्म हुआ और फिर जन-जन की श्रद्धा तथा भक्ति मिली और एक विशाल देश का राजसिंहासन मिला।
शरीर से नेहरू जी एक सुन्दर पुरुष थे। इनके सम्पर्क में आने वाला कोई भी, इनके शारीरिक सम्मोहन में फँस जाता था। यह कहा जाता है कि स्त्रियाँ इनके आकर्षण में आ, प्रायः इनका चक्कर काटने लगती थीं। यह शरीर केवल सुन्दर ही नहीं था, वरन सुदृढ़ भी था। इनकी जीवनी पढ़ने पर यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि अत्यन्त विपरीत परिस्थितियों में भी आप बहुत कम रुग्ण हुए। घोर परिश्रम करने पर भी आप क्लान्त नहीं होते थे और फिर जीवनभर निरन्तर कार्य में संलग्न रहे।
भारत को एक सुन्दर पुण्यात्मक शासक मिला। यह एक अति सौभाग्य की बात हो सकती थी, परन्तु वह सौभाग्य मिल नहीं सका। यह कैसा हुआ ? इसकी विवेचना ही इस पुस्तक का प्रयोजन है।
भारतीय दार्शनिकों का यह कहना है कि मनुष्य का वर्ण (कर्म) उसके गुण और स्वभाव के अनुसार होता है। मनुष्य के जन्म की स्थिति, परिवार और शिक्षा-दीक्षा का अवसर ये सब पूर्वजन्म के कर्मफल का ही परिणाम होते हैं, परन्तु इन सबका फल भोगते हुए मनुष्य बनता है अपने पुरुषार्थ से। पुरुषार्थ से ही पूर्वजन्म के कर्मफल का लाभ उठाया जा सकता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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