Bharat ke Sahityon Ki Kahani

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Bharat ke Sahityon Ki Kahani

Bharat ke Sahityon Ki Kahani

90.00 76.00

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Author: Bhagwatsharan Upadhyay

Availability: 5 in stock

Pages: 63

Year: 2016

Binding: Paperback

ISBN: 9788170284987

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

भारत के साहित्यों की कहानी

भारतीय साहित्य

भारत में अनेक लोग हैं जो अनेक भाषाएँ बोलते हैं। प्रधान भाषाएँ तो दस-बारह ही हैं, पर बोलियाँ सैकड़ों हैं, यहाँ हम केवल तेरह भाषाओं के साहित्य की कहानी कहेंगे। इनमें से नौ उत्तर-पूर्व की भाषाएँ हिन्दी, बंगाली, गुजराती, मराठी, कश्मीरी, पंजाबी, उड़िया, असमी और उर्दू हैं और दक्षिण की चार तमिल, तेलगू, कन्नड़ और मलयालम हैं। दक्षिण की भाषाएँ मूल रूप से द्रविड़ से निकली हैं पर उनमें संस्कृत के शब्द बहुत मिले हुए हैं। उत्तर की भाषाएँ संस्कृत और पुरानी जन बोलियाँ यानी प्राकृतों से निकली हैं और एक-दूसरे के बहुत समीप हैं। इन तेरहों भाषाओं में सैकड़ों वर्षों से साहित्य लिखा जाता रहा है। एक से एक विद्वान, एक से एक गायक उनमें पैदा हुए और उन्होंने बोली को साहित्य के योग्य बनाया। आज हम उनके साहित्य को बार-बार मथकर सुख और आनन्द का लाभ करते हैं; आज सैकड़ों साल बाद भी उनके साथ अपना सम्बन्ध जोड़ते हैं।

 

1

हिन्दी

हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा और राजभाषा है। उसका विस्तार बड़ा है। करीब चालीस करोड़ आदमी उसे इस देश में बोलते हैं। पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश तथा बुंदेलखंड का एक बड़ा भाग और बिहार के रहने वाले हिन्दी या उससे मिलती जन-बोलियां बोलते हैं।

यह भूखण्ड इतना बड़ा है कि इसमें एक भाषा की निभ सकना कठिन था इसलिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बोली बदलती गई और इस प्रकार अनेक बोलियाँ बोली जाने लगीं। इनमें से प्रधान बोलियों में साहित्य भी काफी तैयार हुए हैं जिनको हिन्दी ने अपनी छत्रछाया में लिया है और जो हिन्दी के ही अंग-प्रत्यंग बन गए।

इस प्रकार जिन बोलियों में अच्छा साहित्य प्रस्तुत हुआ, उनमें प्रधान हैं—राजस्थानी, ब्रजभाषा, अवधी, भोजपुरी और मैथिली। जिसे आज हम खड़ी बोली कहते हैं, वह पहले की दिल्ली के आसपास की जन बोली ही है। पर जैसे किसी ज़माने में ब्रजभाषा का बंगाल तक इतना बोलबाला था कि रवि बाबू सहित अनेक बंगाली कवियों ने उसमें कविता की, उसी प्रकार आज दिल्लीवर्ती उस खड़ी बोली का भी बोलबाला है और उसी की सभी हिन्दी-बोलियाँ और उनके साहित्य उसी के अन्तर्गत माने जाते हैं।

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Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2016

Pulisher

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