Bharat Ki Murtikala Ki Kahani
Bharat Ki Murtikala Ki Kahani
₹90.00 ₹76.00
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Author: Bhagwatsharan Upadhyay
Pages: 63
Year: 2022
Binding: Paperback
ISBN: 9788170284666
Language: Hindi
Publisher: Rajpal and Sons
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Description
भारत की मूर्तिकला की कहानी
भारत एक महान् देश है, जिसके संबंध में परिचय देने वाली यह पुस्तकमाला भारत के सभी पक्षों का पूरा विवरण देती है। प्रत्येक पृष्ठ पर दो रंग में कलापूर्ण चित्र, सुगम भाषा और प्रामाणिक तथ्य। इस पुस्तकमाला के लेखक हैं, प्रसिद्ध साहित्यकार, इतिहास और कला के मर्मज्ञ डॉ. भगवतशरण उपाध्याय।
अनुक्रम
★ भारतीय मूर्तिकला
★ सिन्धु सभ्यता का युग
★ पूर्व मौर्यकाल युग
★ मौर्य युग
★ शुंग युग
★ कुषाण युग
★ मथुरा शैली
★ दक्षिण की कुषाण कला
★ पूर्व मध्य युग
★ उत्तर मध्य युग
★ दक्षिण की मंदिर-मूर्तियाँ
★ वर्तमान युग
भारतीय मूर्तिकला
पूजा और आनन्द के लिए आदमी ने प्राचीन काल से ही चित्र और मूर्तियां बनानी शुरू कर दी थीं। क्या भारत और क्या विदेश, सब जगह ऐसी तस्वीरें और मूर्तियाँ मिली हैं जिनसे पता लगता है कि पूजा के लिए अथवा खाली समय बिताने के लिए मनुष्य तस्वीरें या मूर्तियाँ बनाया करता था। टोना-टोटका तब की पूजा थी। आहार तब का सुख था।
आज से कोई बीस हजार साल पहले तक की तस्वीरें हमें मिली हैं। ये पहाड़ी गुफाओं की दीवारों पर, शिकार करने के पत्थर, हाथी-दांत, हड्डी या धातु के शिकार करने के पत्थर, हाथी-दांत, हड्डी या धातु के हथियारों पर खिंची हुई हैं। तांबे आदि धातुयों की ऐसी मूर्तियां भी मिली हैं जो आदमी की शक्ल की हैं और पूजा के काम में आती थीं।
भारत में तो मूर्तियों की पूजा बराबर होती ही रही है। पुराने समय में दुनिया के सभी देशों में लोग मूर्तियां पूजते रहे हैं। हर जगह बड़ी तादात में मूर्तियां मिली हैं। बाहर कई कारणों से मूर्ति-पूजा बन्द हो गई पर हमारे देश में वह चलती रही और आज भी चल रही है। मजे की बात तो यह है कि आदमी आरंभ में जंगली और नंगा रहा है, बिना घर-द्वार के वन-वन भटकता रहा है, पर सुन्दर चीजें उसे बराबर अपनी ओर खींचती रही हैं, मूर्तियों का बनना इसी का परिणाम था यही कला का आरंभ था।
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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