

Bharose Ki Bahan

Bharose Ki Bahan
₹250.00 ₹188.00
₹250.00 ₹188.00
Author: Sheoraj Singh Bechain
Pages: 200
Year: 2010
Binding: Hardbound
ISBN: 9789350002537
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
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भरोसे की बहन
श्यौराज सिंह बेचैन की दस कहानियों का संकलन ‘भरोसे की बहन’ एक ऐसे समाज का ताना-बाना है जहाँ का परिवेश, नागरिक जीवन, शासन व्यवस्था और सामाजिक जीवन के उच्च आदर्श सब कुछ भ्रष्ट हो चुका है। ऐसे समाज में रहने वाले मनुष्य भ्रमित हैं और अपने आसपास भ्रम ही रचते हैं विश्वासघात, अधर्म और संशय इन कथाओं में प्रमुखता से देखा जा सकता है। दरअसल एक ऐसे समाज को साहित्य की दृष्टि से देखना जो विकृत हो चुका है, पीड़ादायी है। इन कथाओं में लेखक ने यह दिखाने का प्रयत्न किया है कि न केवल मनुष्य बल्कि समूचा समाज और शासन-तन्त्र दूषित हो चुका है। साहित्य में वह शक्ति होती है जो मनुष्य और समाज की सूक्ष्म मनोवृत्तियों को एक कसौटी पर तोल कर उसे समाज के लिए उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करता है। पिछले कुछ दशकों से साहित्य में कई प्रकार के विमर्श सामने आ रहे हैं। इसके अभाव में यह केवल एक प्रचार तन्त्र ही न बन कर रह जाये। श्यौराज सिंह बेचैन की ये कहानियाँ केवल अपना स्वर मज़बूत नहीं करती हैं बल्कि उस स्वर को पूरी एकाग्रता से टटोलती भी हैं। उनमें से अन्याय, असत्य और कलंकित क्षुद्रताएँ खंगाल कर अलग कर देती हैं। विमर्श के गम्भीर चक्र में से अर्थपूर्ण लेखन द्वारा एक बेहतर समाज की निर्मिति करना किसी चुनौती से कम नहीं और श्यौराज सिंह बेचैन की कहानियाँ इस चुनौती का निर्वहन गरिमापूर्ण और साहित्य के उजले पक्षों को विचारधारा के केन्द्र में रखकर करती हैं।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
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