Bhartiya Galp (Vivechana Drishti)
₹350.00 ₹300.00
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
भारतीय गल्प
प्रस्तुत पुस्तक के ‘भारतीय गल्प’ आलेख में भारतीय आख्यायिकाओं के उत्स पर जहाँ गम्भीरता से प्रकाश डाला है, वहीं ‘आलोचना की रचना-प्रक्रिया और उपन्यास-आलोचना’ आलेख में आलोचना और सृजनात्मक लेखन की रचना-प्रक्रिया तथा उनके अन्तर्सम्बन्धों पर सार्थक विमर्श किया है। जयशंकर प्रसाद के कथा- साहित्य, निराला के रेखाचित्र तथा नागार्जुन के उपन्यासों से सम्बन्धित आलेखों में उनकी रचनाओं पर नूतन दृष्टि से संवलित मौलिक विवेचन हुआ है। उन्होंने इन रचनाकारों का उनकी कृतियों की विवेचना करते समय जो अर्थ-विस्तार किया है, उससे सामान्य पाठकों के लिए भी चिन्तन के नए द्वार खुलते हैं।
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के कालजयी उपन्यास ‘पुनर्नवा’ तथा भीष्म साहनी के उपन्यास ‘मैय्यादास की माडी’ सम्बंधी समीक्षात्मक लेखों से इन कृतियों के वैशिष्ट्य पर नए ढंग से विचार करने की दृष्टि मिलती है। श्रोत्रिय जी ने भुवनेश्वर, अज्ञेय और कमलेश्वर में प्रतिभा के विस्फोट और उनके रचना-कर्म के विविध आयामों का उद्घाटन भी बहुत तर्कसंगत ढंग से किया है।
रामविलास शर्मा की साहित्य साधना तथा धर्मवीर भारतीय की रचना-यात्रा पर भी उन्होंने अत्यंत वस्तुपरक और सुविचारित विवेचन किया है। विष्णु प्रभाकर, कृष्णा सोबती, कृष्ण बल्देव वैद तथा अवधनारायण मुद्गल को याद करते हुये श्रोत्रिय जी ने उनके व्यक्तित्व और हिन्दी सेवी फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व और उनके योगदान पर इतना अच्छा आलेख शायद ही किसी अन्य साहित्यकार ने लिखा हो। जाने-माने व्यंग्य लेखक ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘हम न मरब’ के माध्यम से हास्य-व्यंग्य में दर्शन की जैसी तत्त्वदर्शी विवेचना श्रोत्रिय जी ने की है, वह भी इस कृति की उपलब्धि है। और भाषा… गम्भीर बौद्धिक विमर्श के बावजूद रागात्मक आर्द्रता से युक्त।
‘मेरे अग्रज मेरे दोस्त’ शीर्षक से वरिष्ठ रंग-समीक्षक जयदेव तनेजा ने जिस तरह श्रोत्रिय जी को याद किया है, उससे उनके महनीय जीवन और रचना-कर्म पर बहुत कुछ प्रकाश पड़ता है।
– डॉ. राकेश शुक्ल
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.