Bhartiya Navjagran : Ek Asamapt Safar

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Bhartiya Navjagran : Ek Asamapt Safar

Bhartiya Navjagran : Ek Asamapt Safar

995.00 755.00

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995.00 755.00

Author: Shambhunath

Availability: 5 in stock

Pages: 592

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355181640

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

भारतीय नवजागरण : एक असमाप्त सफर

भारतीय नवजागरण वेदांत, बौद्ध धर्म और भक्ति आंदोलन के बाद चौथी महान घटना है। इसका संबंध नए भारत के निर्माण से है। 19वीं सदी की औपनिवेशिक स्थितियों में जो सुधार आंदोलन बंगाल, बंबई और मद्रास प्रेसिडेंसी में चले थे, उनकी विशिष्ट खबियों को उजागर करती है शंभुनाथ की पुस्तक भारतीय नवजागरण : एक असमाप्त सफर। इस पर भी रोशनी डालती है कि इस देश का नवजागरण किस अर्थ में यूरोपीय रिनेसां से भिन्न है, उसकी राह में कैसी बाधाएँ थीं, फिर भी उसने किस तरह धार्मिक कूपमंडूकता, जाति, लैंगिक भेदभाव तथा किसानों से जुड़े प्रश्न उठाए, साथ ही औपनिवेशिक आधुनिकता से बाहर आकर किस तरह उदारवादी राष्ट्रीय आत्म पहचान का संघर्ष तेज किया।

भारतीय नवजागरण : एक असमाप्त सफर में पश्चिम और पूर्व, धर्म और बुद्धिपरकता, परंपरा और आधुनिकता, राष्ट्र और हाशिया के बीच असमाप्त संवाद की विवेचना है। यह भी देखा जा सकता है कि न सिर्फ ‘बंगाल रिनेसां’ में कई अंतर्धाराएँ हैं बल्कि हिंदी क्षेत्र, महाराष्ट्र-गुजरात और दक्षिण भारत के नवजागरण की स्थानीय खूबियाँ क्या हैं। लगभग सवा सौ साल का वह काल कितना अभूतपूर्व था, कैसी सांस्कृतिक उथल-पुथल से भरा था, उस काल में कैसे अनोखे व्यक्तित्व थे और उनके दार्शनिक तर्क-वितर्क तथा निर्भीक बहसों से समाज किस तरह आन्दोलित था-इन सबकी वैचारिक छवियाँ इस ग्रंथ में हैं। इस प्रश्न से भी मुठभेड़ है भारतीय जीवन में नवजागरण एक टूटा इंद्रधनुष है या एक असमाप्त सफर ?

लंबे समय तक नवजागरण-संबंधी खोजों से जुड़े रहे शंभुनाथ के विस्तृत अध्ययन और चिंतन का प्रतिबिंब है- भारतीय नवजागरण : एक असमाप्त सफर। यह नवजागरण के उच्छेदवादी और उत्तर-आधुनिक दृष्टिकोणों से टकराते हुए उसका एक भारतीय परिप्रेक्ष्य निर्मित करता है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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