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Description
बोसकीयाना
गुलज़ार से बातें…‘माचिस’ के, ‘हू-तू’ के, ‘ख़ुशबू’, ‘मीरा’ और ‘आँधी’ के बहुरंगी लेकिन सादा गुलज़ार से बातें…फ़िल्मों में अहसास को एक किरदार की तरह उतारनेवाले और गीतों-नज़्मों में ज़िंदगी के जटिल सीधेपन को अपनी विलक्षण उपमाओं और बिम्बों में खोलनेवाले गुलज़ार से उनकी फ़िल्मों, उनकी शायरी, उनकी कहानियों और उस मुअम्मे के बारे में बातें जिसे गुलज़ार कहा जाता है। उनके रहन-सहन, उनके घर, उनकी पसंद-नापसंद और वे इस दुनिया को कैसे देखते हैं और कैसे देखना चाहते हैं, इस पर बातें… यह बातों का एक लम्बा सिलसिला है जो एक मुलायम आबोहवा में हमें समूचे गुलज़ार से रू-ब-रू कराता है।
यशवंत व्यास गुलज़ार-तत्त्व के अन्वेषी रहे हैं। वे उस लय को पकड़ पाते हैं जिसमें गुलज़ार रहते और रचते हैं। इस लम्बी बातचीत से आप उनके ही शब्दों में कहें तो ‘गुलज़ार से नहाकर’ निकलते हैं।
Key Points –
- गुलज़ार की ज़िन्दगी, गुलज़ार की दुनिया : बोसकीयाना
- गुलज़ार की ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा क्या है ? जानने के लिए पढ़ सकते हैं बोसकीयाना में हुई आत्मीय बैठक का हासिल किताब ‘बातें–मुलाक़ातें गुलज़ार : बोसकीयाना’
- दिवाली में दोस्तों और रिश्तेदारों को देने के लिए एक यादगार उपहार
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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