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Description
चालाक कोयल और कुक्कू
‘कोयल अंटार्कटिका को छोड़कर पूरी दुनिया में पाया जाने वाला पक्षी है। अफ्रीका, एशिया और यूरोप इसके प्रमुख निवास स्थान हैं। कोयल भारत में भी बहुतायत में पाई जाती है। कोयल अपने घोंसले का निर्माण नहीं करती है, क्योंकि यह एक परजीवी है। पोषण के लिए यह अपने अंडे दूसरे पक्षी के घोंसले में रख देती है, जिसे ‘नीड़-परजीविता’ कहते हैं। यह ‘कुक्कू कुल’ का पक्षी है। यूरोप तथा अन्य देशों में कोयल से मिलता-जुलता एक और पक्षी होता है जिसे ‘कुक्कू’ कहा जाता है। इसका व्यवहार भी कोयल की तरह ही होता है। अन्य पक्षियों के घोसले में अपने अंडे रखने में असफल होने पर कोयल और अन्य परजीवियों तथा परपोषियों के बीच एक उद्विकासीय आयुध-स्पर्धा शुरू हो जाती है।
यह पुस्तक कोयल और कुक्कू के परपोषी व्यवहार की पड़ताल करती है। दूसरे के घोंसले में अंडे रखने की प्रवृत्ति, अंडे देने का समय-काल, परपोषी द्वारा चूंजों का पोषण, कुक्कू की घटती संख्या, कुक्कू के अंडे और लिंग निरधारण जैसे विषयों पर प्रकाश डालती यह पुस्तक पक्षियों के परजीबी-परपोधी जगत का विस्तृत वर्णन करती है। साध है, पुस्तक मे प्रयुक्त हिंदी शब्द और उनका अंग्रेज़ी अनुवाद भी दिया गया है ताकि पाठक सरलता से समझ सके। इसके अलावा परजीवियों के हिंदी-अंग्रेजी और वैज्ञानिक नाम भी दिए गए हैं।
अनुक्रम
- प्राक्कथन
- कोयल और कुक्कू
- दूसरों के घोंसले में अपने अंडे
- परपोषी और परजीवी
- अंडे कहाँ और कैसे-कैसे
- बाज की पोशाक में परजीवी
- पराये अंडे और चूजे
- भोजन लपकते चालाक चूजे
- कहाँ दे अंडे ?
- कुक्कू के अंडे और डी.एन.ए.
- घट रही है कुक्कू की आबादी
- पुस्तक में प्रयुक्त हिंदी शब्द एवं उनका अंग्रेजी अनुवाद
- जंतु प्रजातियों के हिंदी, अंग्रेजी एवं वैज्ञानिक नाम
- संदर्भ
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
Reviews
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