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Description
चाँद पागल है
राहत एक अरबी लफ़्ज है। इसका एक अर्थ आराम भी है, लेकिन राहत इन्दौरी ने इस आराम को बेआराम बनाकर अपनी शायरी की बुनियादें रखी हैं। उनके यहाँ ये बेआरामी जाती कम, कायनाती ज्यादा है। उनकी इस कायनात का रकबा काफी फैला हुआ है। इसमें मुल्की ग़म भी है और मुल्क के बाहर के सितम भी हैं। ऐसा नहीं है कि उनकी अपनी बातों से उनकी ग़ज़ल यहीं तक सीमित नहीं है। उनकी होशमंदी ने उन्हें जीते-जागते समाज का एक सदस्य बनाकर इस सीमित दायरे को फैलाया भी है और शायरी को अपने सामय का आईना भी बनाया है।
इस आईने में जो परछाइयाँ चलती-फिरती नज़र आती हैं, वो ऐसा इतिहास रचती महसूस होती हैं, जो सामाजिक उतार-चढ़ाव में शरीक होकर आम लफ़्जों में ढली हैं। राहत इन्दौरी इतिहास को अपी ग़ज़लों के माध्यम से स्टेज पर अपनी ड्रामाई प्रस्तुति से सुनाते भी हैं और श्रोताओं को चौंकाते भी हैं।
Additional information
Weight | 0.5 kg |
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Dimensions | 21 × 14 × 4 cm |
Authors | |
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2010 |
Pulisher |
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