Chandghati Ki Anaro

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Chandghati Ki Anaro

Chandghati Ki Anaro

395.00 315.00

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Author: Savita Sharma Nagar

Availability: 5 in stock

Pages: 296

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789357757089

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

चाँदघाटी की अनारो

सब बिकते हैं, सब बिकते आये हैं। बस कौन कहाँ किसके हाथों कितने में बिकेगा, यह आदमी आदमी की पहचान होती है। अनारो भी एक तरह से बिक गयी थी। औरतें सदा से ही बिकती आयी हैं मगर अनारो के बिकने की कीमत थी वेद का प्रेम। वेद ब्राह्मण है तो अनारो बावरिया समाज से। लेकिन प्रेम कहाँ जात-पाँत देखता है। ‘प्रेम गली अति साँकरी तामें दो न समाहिं।’ मगर सच ये है कि आदमी पढ़-लिखकर कितना भी सभ्य क्यों ना हो जाये, मन के किसी कोने में वह औरत को अपने से थोड़ा कमतर ही मानता है। जब तक औरत उससे कमतर है, उसके स्वामित्व का भाव ज़िन्दा रहता है, उसका अहम् ज़िन्दा रहता है। लेकिन अगर कभी उसके अहम् को ठोकर लग जाये तो वह स्वामी से राक्षस भी बन सकता है। अनारो को समाज ने थोड़ा तूल क्या दे दिया, वेद की तो जैसे सत्ता ही हिल गयी। उसने तो उसे पाँव की जूती बता दिया। उसने यहाँ तक कह दिया कि साली तेरी औकात ही क्या है ? मेरे बिना तेरी हस्ती ही क्या है ? वेद ने ना सिर्फ़ अनारो की कोख को गाली दी बल्कि उसके अस्तित्व को भी चुनौती दे डाली।

लेकिन अनारो गहरे प्रेम में है, कैसे निबटेगी इस चुनौती से ?

सविता शर्मा नागर रचित चाँदघाटी की अनारो कहने को राजस्थान के बावरिया समाज की अनारो की कहानी है, मगर अनारो जैसी औरतें मुख़्तलिफ़ नामों से पूरी दुनिया में भरी पड़ी हैं। राजस्थान की मिट्टी और संस्कृति से लबरेज़ चाँदघाटी की अनारो अत्यन्त रोमांचक गाथा है। पढ़ते समय ऐसा लगता है, जैसे आपकी आँखों के सामने फ़िल्म के दृश्य चल रहे हों। यह शायद सविता ने अपने गुरु पद्मभूषण अमृतलाल नागर जी से ही सीखा है जिनसे वह कभी मिली ही नहीं, सिर्फ़ उनके उपन्यास पढ़-पढ़कर लिखना सीख लिया। नागर जी के गहरे प्रभाव के बावजूद सविता के लेखन के प्रसार में एक ताज़गी है और पाठको को बाँधे रखने की ग़ज़ब की क्षमता भी।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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