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Description
चतुष्कोण एवं अन्य नाटक
नई शताब्दी में बांग्ला नाट्याकाश में जिन नवीन नक्षत्रों का उदय हुआ है, व्रात्य बासु उनमे श्रेष्ठतम हैं। नाटककार, निर्देशक एवं अभिनेता-इन तीनो रूपों में उन्होंने आम जनता एवं बुद्धजीवियों के मन-मतिष्क पर अपने चिंतन एवं बुद्धिमता की गहरी और स्थायी छाप छोड़ी है। व्रात्य का परिचय बांग्ला थिएटर के एकनिष्ठ संस्कृतिकर्मी के रूप में है। वे इस समय के जनसमादृत नाटककार हैं। राजनितिक फेंटेसी, प्रकृति एवं मनुष्य तथा मनुष्य और मनुष्य के बीच के सम्बन्ध, कला और जीवन के मध्य का सम्बन्ध मूल्यबोधहीनता, क्रांति और प्रेम के बीच का द्वन्द, समय, सभ्यता एवं संस्कृति के बीच का द्वन्द आदि विविध समकालीन विषयों पर रचित व्रात्य बासु के नाटक जिस प्रकार एक के बाद एक सफलता के साथ मंचस्थ हुए हैं, उसी प्रकार उन्होंने आलोचकों के मन में भी जगह बनाई है। इस पुस्तक में चार नाटक हैं, जिनमे आज का समय एवं मनुष्य के भीतर का अंतर्द्वंद मुखर हुआ है। यह समय अपनी सारी कुटिलताओं और अच्छाइयों के साथ इन नाटकों में उपस्थित है। व्रात्य बासु के ये नाटक निःसंदेह आज के समय की अमूल्य निधि हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
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