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Description
छम्मकछल्लो कहिस…!
सुपरिचित लेखिका विभा रानी का बहुप्रशंसित ब्लॉग है ‘छम्मकछल्लो कहिस…!’ इसी ब्लॉग से चुनिंदा लेखों का यह संग्रह दरअसल भारतीय मिथक के आईने से स्त्री को देखे जाने की कोशिश है।
किसी न किसी घटना विशेष पर आधारित इन लेखों की विशेषता है कि ये आपको विचार के लिए प्रेरित करते हैं। आप या तो इनका समर्थन करेंगे या फिर विरोध।
इन लेखों से एक स्वर यह भी उभरता है कि एक समय हमारा शास्त्र और समाज कितना उन्नत हुआ करता था ! आज हम कितने संकुचित हो गए हैं। कन्या भ्रूण हत्या से लेकर कन्या पूजन के ढोंग तक और कन्या शोषण से लेकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक, इस संग्रह के लेख विचलित करने वाले हैं।
यहां महाभारत से प्रश्न किए गए हैं तो वर्तमान समाज को व्यंजनात्मक फटकार भी लगाई गई है। यहां स्त्री की ओर से किए गए प्रश्न हैं तो पुरुष समाज के लिए कटु उलाहना भी।
सच पूछें, तो यह हमारे समाज और उसकी परंपराओं का ऐसा पोस्टमार्टम है जो शर्मसार करते हुए व्यापक स्तर पर सुधारों की वकालत करता है। यहां भाषा का छल नहीं है, छल को उघाड़ने वाली भाषा का प्रहार है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
Language | Hindi |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2013 |
Pulisher |
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