Chhoti Si Shuruat

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Chhoti Si Shuruat

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500.00 415.00

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Author: Bhairavprasad Gupt

Availability: Out of stock

Pages: 411

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389742268

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

छोटी सी शुरुआत

भैरवप्रसाद गुप्त का प्रस्तुत उपन्यास उनकी रचनात्मक दृष्टि और अवधारणाओं में आये परिवर्तनों का एक ऐसा विशिष्ट आईना है जिसमें ‘अक्षरों से आगे’ के सृजनात्मक विश्वासों की आधार-भूमि का विस्तुत फलक रूपायित होकर, प्रत्यक्ष हुआ है। इस बार उन्होंने उसे ही कथानायक बना दिया है, जो उनके लम्बे सृजनात्मक समय के थपेड़ों को एक नितान्त सामान्य आदमी की तरह झेलता हुआ, उन मूल्यों के लिए संघर्ष करता रहा था, जिन्हें पाठक बड़े मजे में आदर्शों का नायक कह सकते हैं।

कहने की बात नहीं है कि यह वही सूत्रधार है जो स्वतन्त्रता पूर्व के अपने रचनात्मक विश्वासों के लिए कथा-मंच पर ऐसे पात्रों को उतारता रहा, जिनके अदृश्य सूत्रों को वह हमेशा अपनी अँगुलियों में बाँध कर रखता था और वे वही करते थे जो वह चाहता था। उसे इस बात की परवाह ही नहीं थी कि वे निर्जीव या सजीव हैं। वे हैं, और वही सब कर रहे हैं जो वह चाहता है-यही उसके बिश्वास थे, जिसे उसने तत्कालीन यानी स्वतंत्रता पूर्व के प्रगतिशील चिन्तन से प्राप्त किया था।

समय का ध्यान रखो…एक मिनट भी लेट मत होओ…क्लास में शान्त रहो…ध्यान से लेकचर सुनो और नोट…करो खाली पीरियड में इधर-उधर मत घूमो…लाइब्रेरी या चैपेल में आकर पढ़ो…प्रार्थना करो…ध्यान लगाओ… कपड़े साफ हों…नाखून-बाल न बढ़े जूतों पर रोज पालिश करो…एक बार नोटिस बोर्ड ज़रूर देखो कोई कठिनाई हो तो अपने प्राध्यापक से कहो वे दूर न कर सकें तो बेझिझक मुझसे कहो…हम-सब कालेज-परिवार के सदस्य हैं… हमें प्रेम से एक दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए…प्राध्यापक तुम्हारे टीचर ही नहीं अभिभावक भी हैं अनुशासन, सच्चाई और सच्चरित्रता मनुष्य के बहुमूल्य गुण हैं तुम सबको मेरी शुभकामनाएं…गॉड का आशीर्वाद तुम्हें प्राप्त हो…अब जाओ अपनी कक्षा में। दस बजने की टन-टन आबाज आयी।

बिना किसी आवाज के प्रिंसिपल के पीछे-पीछे प्राध्यापक पंक्तिबद्ध होकर बाहर चले गये, तो पहली पंक्ति के बेंचों पर बैठे विद्यार्थी खड़े होकर एक-के-पीछे पंक्तिबद्ध होकर बाहर जाने लगे…

सरल बौखला-सा गया था। उसे टाइम-टेबुल का कुछ पता ही न था। उसने अपनी बगल में बैठे लड़के से फुसफुसाकर पूछा-पहला पीरियड किस विषय का है ? फर्स्टइयर का। अंग्रेजी का, लड़के ने फुसफुसाकर बताया – मेरा भी फर्स्टइयर ही है। किस नम्बर के कमरे में – सरल ने पूछा। तुम्हारा रोल नम्बर क्या है -लड़के ने पूछा। (इसी पुस्तक से)

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Hardbound

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Publishing Year

2010

Pulisher

Language

Hindi

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