Chitra Mudgal : Srijan Ke Vividh Aayaam – Part-1-2

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Chitra Mudgal : Srijan Ke Vividh Aayaam – Part-1-2

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Author: Urmila Shirish

Availability: 4 in stock

Pages: 880

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389220445

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

चित्रा मुद्गल सृजन के विविध आयाम
भूमिका

चित्रा मुद्गल का नाम हिन्दी के उन विरल, विलक्षण और अप्रतिम कथाकारों में लिया जाता है, जिन्होंने अपने लेखन के द्वारा एक व्यापक, बहुआयामी, मानवीय समाज की अभिव्यक्ति अपने साहित्य में की है और एक ऐसा संसार अपने साहित्य द्वारा रचा है, जिसमें सदियों से उपेक्षित समाज अपनी आवाज को शब्द देना चाहता था। चित्रा मुद्गल का समस्त साहित्य उनकी मानवीय समाज के प्रति अटूट प्रतिबद्धता, ईमानदारी और चिन्ता का पर्याय है। उन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में जिन विषयों को उठाया है, जिस मनुष्य-समाज को चित्रित किया है, वे परम्परागत स्त्री-लेखन की सीमाओं का अतिक्रमण तो करता ही है, एक नये रूप में लेखन को परिभाषित करता हुआ स्त्री-लेखन के कई नये और चुनौती भरे आयाम भी खोलता है। चित्रा मुद्गल अपने लेखन द्वारा अपने समकालीनों में अलग पहचान बनाती हैं। चित्रा मुद्गल की कहानियाँ जहाँ एक ओर निम्न मध्यमवर्गीय समाज से आती हैं, वहीं गाँव-कस्बा, नगर-महानगर की समस्याओं, परिस्थितियों तथा संघर्षों के बीच जी रहे मनुष्यों की स्थितियों का भी प्रतिरूप और प्रति आख्यान रचती हैं।

उनके उपन्यास अलग-अलग विषय-वस्तु, औपन्यासिक कला तथा भाषिक संपुटता के कारण याद किए जाते हैं। चाहे वह ‘एक जमीन अपनी’ हो या ‘गिलीगडु’ या ‘आवाँ’ या ‘पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा’ हो। इन उपन्यासों की खासियत यही है कि ये अपने समकालीन समाज में व्याप्त विषमताओं, मूल्यहीनता, पूँजीवादी व्यवस्था, मजदूर आन्दोलन, स्त्री-विमर्श, स्त्री की आधुनिक छवि, हाशिए पर जाते वृद्धों की यातनापूर्ण स्थिति और थर्ड जेण्डर सभी को बड़े केनवास पर चित्रित करते हुए चित्रा मुद्गल यह संदेश देना चाहती हैं कि एक रचनाकार अपने सामाजिक सरोकारों से किस तरह से जुड़ा रहता है और उसकी दृष्टि समाज के हर कोने पर जाकर अन्वेषण करती है। कथा-भूमि पर फैले इन उपन्यासों को पढ़ना और समाज की छायाओं-प्रतिछायाओं को इनमें देखना अपने आपमें अनूठा अनुभव है। इन उपन्यासों को पाठकों द्वारा जितनी व्यापक लोकप्रियता मिली है, जितना इन पर शोध तथा विमर्श हुआ, वह भी अपने आपमें अद्भुत उपलब्धि है।

चित्रा मुद्गल चूँकि सामाजिक संगठनों, मजदूर संगठनों तथा स्त्री वर्ग से जुड़ी रही हैं, उनकी समस्याओं को उन्होंने बहुत करीब से देखा है, इसलिए वह दर्द, वह संघर्ष, वह यथार्थ, वह संवेदना, वह मानवीयता, वह सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक दृष्टि-सम्पन्नता, वह सार्वकालिकता और वह सार्वभौमिकता उनकी कहानियों और उपन्यासों को जीवन्त बना देती है। जीवन का घनत्व उनकी रचनाओं की संवेदनात्मक ताकत है। उनका वैचारिक और चिन्तनपरक गद्य भी उतना ही धारदार है जितनी कि उनकी कहानियाँ और उपन्यास। वैचारिक पक्ष को जब हम देखते हैं तो पाते हैं कि चित्रा मुद्गल अपनी स्पष्टवादिता, मूल्यपरकता और प्रतिबद्धता को लेकर हमेशा सजग और सचेत रही हैं, इसलिए उनके गद्य आलेख एक गहरी छाप छोड़ते हैं।

जीवन की विसंगतियों, विद्रुपताओं और संघर्षों से लड़ने वाला मनुष्य चित्रा मुद्गल के साहित्य की उपलब्धि और ताकत है। इसी मनुष्यता के लिए वे खड़ी दिखाई देती हैं। वही संवेदना, वही संघर्ष, वही तेजस्विता उनके व्यक्तित्व में, उनके विचारों में, उनके जीवन में भी दिखाई देती है। उनका लेखन बंद कमरे में बैठकर लिखा गया लेखन नहीं है, अपितु उन सबके बीच रहकर, जीकर, जो उन्होंने अनुभव किया, जो उन्होंने देखा… उसी की यथार्थ अभिव्यक्ति उनके लेखन में भी प्रतिबिम्बित होती है।

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

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