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सिनेमा और समाज
हमारा भारतीय सिनेमा शुरू से ही कुछ मूल्यों का पुरस्कार करता आया है। पहला भारतीय सिनेमा सत्यवचनवादी हरिश्चंद्र और तारामती के जीवन की कथा पर आधारित था। सत्य, अहिंसा, प्यार, मानवता, सहिष्णुता, अच्छाई की जीत, बंधुभाव जैसे सदियों से चले आ रहे मूल्यों का पुरस्कार भारतीय सिनेमा ने किया है। आप अगर बारिकी से भारतीय सिनेमा ही नहीं, बल्कि विश्व सिनेमा का भी अध्ययन करें तो सहजता से जान पाएंगे कि सिनेमा चाहे जैसा भी हो, अंतिमतः विजय अच्छाई की और सच्चाई की ही होती है। सिनेमा कितना भी मनोरंजक हो या कई बार अवास्तविक भी हो, उस में समाज का दर्शन होता ही है। समाज को साहित्य से जिस प्रकार हम अलग नहीं कर सकते, उसी प्रकार हम, सिनेमा को समाज से अलग नहीं कर सकते।
व्ही. शांताराम जी भारतीय सिनेमा के अध्वर्यु माने जाते हैं।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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