Corporate Media : Dalal Street
₹695.00 ₹555.00
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
कॉरपोरेट मीडिया : दलाल स्ट्रीट
भारतीय मीडिया का यह संकटकाल है। मीडिया के लिए यह सच से साक्षात्कार का भी समय है। लेकिन यह संकट मीडिया उद्योग का है। अगर आप मास मीडिया के कंज्यूमर यानी पाठक, श्रोता या दर्शक हैं तो इस बात पर अफसोस जताने की जगह खुश हो सकते हैं कि 2009 में इस देश में पेड न्यूज का घोटाला हुआ और 2010 में नीरा राडिया कांड। पेड न्यूज विवाद ने बताया था कि मीडिया कवरेज की पैकेज डील होती है। वहीं, नीरा राडिया कांड से पता चला कि देश और मीडिया को चलाने वाले कोई और हैं, जो राजनीति, नौकरशाही, न्याय व्यवस्था और मीडिया में मौजूद कठपुतलियों को नचा रहे हैं। कॉरपोरेट जगत के विश्वविजय अभियान का यह भारतीय संस्करण है। इस कहानी में रोमांच है, रहस्य है और इन सबसे बढ़कर इसमें भदेसपन कूट-कूटकर भरा है।
समाचार मीडिया का पब्लिक रिलेशन, कॉरपोरेट कम्युनिकेशन और लॉबिंग से गर्भनाल का संबंध है। मीडिया चौथा या पांचवां कोई भी खंभा नहीं, धंधा है। मीडिया मुनाफे से संचालित होता। मीडिया के स्वामित्व का समरूप कॉरपोरेट है और मीडिया का कंटेंट कुल मिलाकर सत्ता की संस्थाओं और शहरी हिंदू सवर्ण इलीट पुरुष के पक्ष में झुका हुआ है। मीडिया, कॉरपोरेट जगत और राजनीतिक संसार के लिए ये सारी बातें कभी रहस्य नहीं थीं। लेकिन इस सच को जगजाहिर होने के लिए किसी पेड न्यूज कांड या राडिया कांड की जरूरत थी। जो मीडिया सबकी छवि बनाने-बिगाड़ने का दम होने का दावा करता है और कभी शेयर तो कभी जमीन तो कभी राज्यसभा की सीट और कभी रुपए की शक्ल में फीस वसूलता है, वह अपनी ही छवि को बचाने में नाकाम रहा। 2009-2010 में मीडिया का अपना क्राइसिस मैनेजमेंट फेल हो गया। अब मीडिया नाम का राजा बच्चों-बूढ़ों सबके सामने नंगा खड़ा है। यह पुस्तक इसी दर्दनाक दास्तान को सामने लाने की कोशिश है, क्योंकि कुछ लोगों के लिए मीडिया अब भी एक पवित्र विचार है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.