Dainik Jivan Mein Ganit

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Dainik Jivan Mein Ganit

Dainik Jivan Mein Ganit

75.00 70.00

In stock

75.00 70.00

Author: R M Bhagwat

Availability: 3 in stock

Pages: 73

Year: 2021

Binding: Paperback

ISBN: 9788123782690

Language: Hindi

Publisher: National Book Trust

Description

दैनिक जीवन में गणित

गणित क्या है ? इसे अनेक संज्ञाओं जैसे कि कला, विज्ञान का साधन, विज्ञान की भाषा एवं विज्ञान की साम्रागी के रूप में वर्णित किया गया है। जीवन के हर क्षेत्र में सभी के द्वारा इस्तेमाल किए जाने से ही संबंधित है दैनिक जीवन में गणित। गणित के उद्भव और विकास संबंधी सुस्पष्ट विवेचन करती हुई यह पुस्तक हमें बताती है कि विविध समस्याओं को हल करने में गणित कैसे हमारी मदद करता है। वस्तुत: यह पुस्तक इस बात को रेखांकित करती है कि गणित सभी के लिए आवश्यक है जिसकी ध्वनि विश्वव्यापी गणितीय आंदोलन ‘गणित सबके लिए’ में भी अनुगुंजित होती है।

 

आभार

इस पुस्तक के लेखन के दौरान सभी प्रकार की सहायता एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (एच. बी. सी. एस. ई.) के भूतपूर्व निदेशक प्रो. वी. जी. कुलकर्णी एवं मुंबई के टाटा आधारभूत अनुसंधान संस्थान (टी. आई. एफ. आर) को अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने में मुझे अति प्रसन्नता हो रही है। डा. एच. सी. प्रधान का मैं हृदय से आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे इस पुस्तक के लेखन के लिए प्रेरित किया। गहन रूप से पांडुलिपि को पढ़कर उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझाव मुझे दिए। उनके सतत सहयोग एवं उत्साहवर्धन के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। मुंबई स्थित कीर्ति कालेज की डा. सीमा पुरोहित ने पांडुलिपि को ध्यान से पढ़कर अपने कीमती सुझाव दिए।

मैं हृदय से उनका आभार व्यक्त करता हूं। श्री अरुण मावलंकर जिन्होंने पांडुलिपि की प्रेस कापी तैयार करने का उत्तरदायित्व संभाला, श्रीमती वी. एन. पुरोहित जिन्होंने पांडुलिपि को कुशलतापूर्वक टाइप किया, श्री वी. एन. गुरव जिन्होंने वर्ड प्रोसेसर पर पांडुलिपि को उतारा तथा श्री शिवाजी नाडकर जिन्होंने सावधानीपूर्वक इसकी ‘जेराक्स’ कापी तैयार की, इन सभी के प्रति मैं अपना धन्यवाद व्यक्त करता हूं। होमी भाभा विज्ञान केंद्र के स्टाफ के इन सभी सदस्यों ने मेरी बड़ी मदद की है। अपने ही परिवार के सदस्यों नीलेश, समीर, वृंदा तथा धनश्री को पांडुलिपि के लिए कुछ चित्र बनाने के लिए मैं धन्यवाद देता हूं। बाद में इन चित्रों का नेशनल बुक ट्रस्ट ने पुनर्आरेखण किया।

नेशनल बुक ट्रस्ट की संपादिका श्रीमती मंजु गुप्ता के मुझे लगातार उकसाते रहने के बगैर यह पुस्तक पूरी नहीं हो सकती थी। पुस्तक लेखन में हो रहे विलंब को भी उन्होंने धैर्यपूर्वक सहन किया। उनकी उदार सराहना और उत्साहवर्धन के लिए मैं हृदय से उन्हें धन्यवाद देता हूँ।

– आर. एम. भागवत

 

प्रस्तावना

गणित मानव मस्तिष्क की उपज है जिसका मानव गतिविधियों एवं प्रकृति के निरीक्षण द्वारा ही उद्भव हुआ। मानव मस्तिष्क की चिंतन प्रक्रियाओं के मूल में पैठ कर ही गणित मुखर रूप से उनकी अभिव्यक्ति करता है। वास्तविक संसार अवधारणाओं की दुनिया में बदल जाता है और गणित वास्तविक जगत को नियमित करने वाली मूर्त धारणाओं के पीछे काम करने वाले नियमों का अध्ययन करता है। ज्यादातर दैनिक जीवन का गणित इन मूल धारणाओं का ही सार है और इसलिए इसे आसानी से समझा-बूझा जा सकता है। हालांकि अधिकांश धारणाएं अंत:प्रज्ञा के द्वारा ही हम पर प्रकट होती है, फिर भी शुद्ध एवं संक्षेप रूप में उन धारणाओं को व्यक्त करने के लिए उचित शब्दावली एवं कुछ नियमों और प्रतीकों की आवश्यकता पड़ती है।

अतः गणित की अपनी अलग ही भाषा एवं लिपि होती है जिसे पहले जानना-समझना जरूरी होता है। शायद यही कारण है कि दैनिक जीवन से असंबद्धित मानकर इसे समझने की दृष्टि से कठिन माना जाता है, जबकि हकीकत में यह वास्तविक जीवन के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा ही नहीं है, बल्कि उसी से इसकी उत्पत्ति भी हुई है। यह विडंबना ही है कि ज्यादातर लोग गणित के प्रति विमुखता दिखा कर उससे दूर भागते हैं, जबकि वस्तुस्थिति यह है कि जीवन तथा ज्ञान के हर क्षेत्र में इसकी उपयोगिता है। यह केवल संयोग नहीं है कि आर्किमिडीज, न्यूटन, गौस और लैगरांज जैसे महान वैज्ञानिकों के विज्ञान के साथ-साथ गणित में भी अपना महान योगदान दिया है।

मानव ज्ञान की कुछ प्राथमिक विधाओं में संभवतया गणित भी आता है, और यह मानव सभ्यता जितना ही पुराना है। मानव जीवन के विस्तार और इसमें जटिलताओं में वृद्धि के साथ गणित का भी विस्तार हुआ है और उसकी जटिलताएं भी बढ़ी हैं। सभ्यता के इतिहास के पूरे दौर में गुफा में रहने वाले मानव के सरल जीवन से लेकर आधुनिक काल के घोर जटिल एवं बहुआयामी मनुष्य तक आते-आते मानव जीवन में धीरे-धीरे परिवर्तन आया है। इसके साथ ही मानव ज्ञान-विज्ञान की एक व्यापक एवं समृद्ध शाखा के रूप में गणित का विकास भी हुआ है। हालांकि एक आम आदमी को एक हजार साल से बहुत अधिक पीछे के गणित के इतिहास से उतना सरोकार नहीं होना चाहिए, परंतु वैज्ञानिक, गणितज्ञ, प्रौद्योगिकीविद्, अर्थशास्त्री एवं कई अन्य विशेषज्ञ रोजमर्रा के जीवन में गणित की समुन्नत प्रणालियों का किसी न किसी रूप में एक विशाल, अकल्पनीय पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं। आजकल गणित दैनिक जीवन के साथ सर्वव्यापी रूप में समाया हुआ दिखता है।

अत: यह जरूरी हो जाता है कि जीवन के विविध क्षेत्रों से जुड़े लोग मानव की प्रगति में गणित के योगदान को समझ-बूझ कर उसकी सराहना करें। यह पुस्तक दैनिक जीवन में गणित के स्वरूप को सरल भाषा एवं जीवन से ही लिए गए दृष्टांतों के माध्यम से समझाने का कार्य करती है। गणित के ऐतिहासिक विकास का वर्णन इस बात पर बल देते हुए किया गया है कि दैनिक जीवन से जुड़ी साधारण-सी गतिविधियों से गणित का प्रादुर्भाव किस तरह से होता है तथा रोजमर्रा की समस्याओं का हल ढूंढ़ने में यह कैसे हमारी मदद करता है। हमारे लिए यह गौरव की बात है कि बारहवीं सदी तक गणित की सम्पूर्ण विकास-यात्रा में उसके उन्नयन के लिए किए गये सारे महत्वपूर्ण प्रयास अधिकांशतया भारतीय गणितज्ञों की खोजों पर ही आधारित थे।

प्राचीन हिंदू गणितज्ञों के योगदान को पुस्तक में पूरी तरह रेखांकित किया गया है। इस तथ्य को भी कि गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है, दैनिक जीवन से संबद्ध अनेक समस्याओं के माध्यम से समझाया गया है। गणितीय शब्दावली एवं सूत्रों का न्यूनतम प्रयोग कर गणित के आवश्यक पहलुओं को सरल भाषा में पुस्तक में बताया गया है। अनेक रेखाचित्रों एवं छायाचित्रों के माध्यम से पुस्तक को भली-भाँति सुसज्जित किया गया है। पुस्तक को रोचक और पठनीय बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है।

आशा है कि गणित को समझने-सराहने एवं उसके अध्ययन में पुस्तक पाठकों को जरूर प्रोत्साहित करेगी।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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