Dalit Kavita : Prashana aur Paripekshya

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Dalit Kavita : Prashana aur Paripekshya

Dalit Kavita : Prashana aur Paripekshya

275.00 215.00

In stock

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Author: Bajrang Bihari Tiwari

Availability: 5 in stock

Pages: 192

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9788119899982

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

दलित कविता : प्रश्न और परिप्रेक्ष्य

आत्मसम्मान या गरिमा (डिग्निटी) का प्रश्न दलित विमर्श में केन्द्रीय रहा। इस प्रश्न को लेकर दो खेमे बने। एक खेमे का कहना था कि पुरानी पहचान से छुटकारा और नयी सामाजिक स्वीकृति ही गरिमा बहाल कर सकती है। दूसरे खेमे के सदस्य इसे आर्थिक स्थिति से जोड़कर देखते थे। उनका कहना था कि आर्थिक स्थिति में बदलाव से ही ‘डिग्निटी’ की तरफ बढ़ा जा सकता है। अस्मिता विमर्श में इस प्रश्न समाधान नहीं हुआ है। पहला खेमा ज़्यादा मुखर है। इसे दलितों के नये मध्यवर्ग का समर्थन प्राप्त है। यहाँ लड़ाई मुख्यतः प्रतीकों की है। ‘डिग्निटी’ के प्रतिकूल पुराने प्रतीकों से छुटकारा पाने और नये प्रतीकों के निर्माण की है। राजसत्ता को इससे ज़्यादा दिक्कत नहीं होती। प्रतीक संवर्धन में बहुधा उसकी दिलचस्पी और भूमिका रहती है।

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2024

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