Dalit Sahitya Evam Chintan Samkaleen Paridrashya
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Description
दलित साहित्य एवं चिंतन : समकालीन परिदृश्य
साहित्य की समृद्धि में सभीविधाओं के लेखन का महत्वपूर्ण योगदान है। अपने समय की समस्याओं और सवालों से जूझना और मानव विरोधी मूल्यों, मान्यताओं से टकराना और उनसे मुक्ति की प्रेरणा देना साहित्य की मूल अपेक्षा है। साहित्य की परंपरा ने जहां इन अपेक्षाओं को अनदेखा कर या अनावश्यक मान निरंतर अमानवीय मूल्यों, मान्यताओं और परम्पराओं का पोषण और संवर्धन किया है, वहाँ दलित साहित्य ने इस अपेक्षा को अपना मूल चरित्र बनाया है। यही उसकी एक बड़ी विशेषता भी है। दलित साहित्य को निरंतर मानव- हित के प्रश्नों से जूझते हुए देखा जा सकता है। यह पुस्तक दलित साहित्य एव॑ चिंतन के समकालीन परिदृश्य पर प्रकाश डालती है। आशा है दलित साहित्य एवं चिंतन के विभिन्न आयामों के साथ-साथ उसके द्वंद्व, समस्या, चुनौतियों और संभावनाओं को समझने के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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