Dead End

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Dead End

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Author: Dr. Padmesh Gupta

Availability: 5 in stock

Pages: 100

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355189004

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

डेड एंड

डेड एंड पद्मेश गुप्त की कहानियों का नवीनतम संग्रह है। मूल्यों के टकराव का सजीव चित्रण है पद्मेश गुप्त के लेखन में। ‘तिरस्कार’, ‘डेड एंड’, ‘कब तक’ मिली-जुली संस्कृति के टकराव को बखूबी चिह्नित करती हैं। पद्मश जी रफ़्तार से कहानी आगे बढ़ाते हैं और अन्त तक आकर पाठक को अपने कथा-संसार में शामिल कर लेते हैं।

– ममता कालिया

वरिष्ठ कथाकार

★★★★★

डॉ. पद्मेश गुप्त शिक्षा और भाषा-सेवा के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम है। भारत के बाहर रहकर जिन लोगों ने हिन्दी की सेवा की है, उनमें डॉ. पद्मेश गुप्त का नाम प्रमुख है। डॉ. गुप्त ने कवि और सम्पादक के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की है। डेड एंड उनका पहला कहानी-संग्रह है। डॉ. गुप्त की कहानियाँ उनके चार दशक के प्रवासी जीवन की अनुभूतियों को प्रतिबिम्बित करती हैं। इन कहानियों में प्रवासी जीवन को देखने की एक नयी दृष्टि है जो विषयों और घटनाओं के बहुरंगी वैविध्य का सुन्दर उदाहरण है। समाज, धर्म, राजनीति, संस्कृति से लेकर व्यक्तिगत सम्बन्ध तक अलग विषयों को छूती ये कहानियाँ पिछले वर्षों में अलग-अलग पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं जिन्हें पाठकों ने सराहा है। उन्हें एक संग्रह के रूप में लाकर समग्रता देने का काम वाणी प्रकाशन ने किया है। यह कहानी-संग्रह एक हिन्दी सेवी के रूप में डॉ. पद्मेश गुप्त की वैश्विक पहचान को और समृद्ध करने वाला है। यह भारत के बाहर बसे भारत की मनोव्यथा को जानने-समझने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। डॉ. पद्मेश गुप्त का यह कहानी-संग्रह डेड एंड, जो वास्तव में एंड नहीं बल्कि एक शानदार बिगिनिंग है।

– डॉ. सच्चिदानन्द जोशी

वरिष्ठ लेखक

★★★★★

पद्मेश के लेखन में मानवीय संवेदना की समझ मिलती है, जो उन्हें श्रेष्ठ कहानीकार बनाती है।

– नरेन्द्र कोहली प्रसिद्ध लेखक

प्रेम को लेकर महत्त्वपूर्ण कथा-यात्रा, जिसमें प्रेम के सरोकार : प्रेम क्या है? क्या प्रेम नाम की कोई चीज़ है भी! अधूरा प्रेम, विशुद्ध प्रेम! प्रेम बनाम दैहिक सच का शब्द-संसार ! ‘डेड एंड’ कहानी के गहन भाव और सुघड़ शिल्प ने पद्मेश गुप्त की सार्थक शुरुआत की है। अन्तिम कहानी ‘यात्रा’ में अस्तित्व से जुड़े कुछ मूलभूत सवाल हैं। लेखन की एक अन्य विधा में नयी पारी के अवसर पर उन्हें बहुत शुभकामनाएँ !

– अनिल जोशी

सुपरिचित लेखक

★★★★★

ब्रिटेन में हिन्दी के दो काल हैं, एक पद्मश गुप्त से पहले, दूसरा पद्मेश गुप्त के बाद ।

– तेजेन्द्र शर्मा

प्रवासी साहित्यकार

★★★★★

पद्मेश के लेखन की सबसे बड़ी शक्ति उनकी मौलिकता है।

– डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव

प्रवासी साहित्यकार

★★★★★

पद्मेश गुप्त एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर के रचनाकार हैं। अब एक कहानीकार के रूप में भी उनकी पहचान बनी है। उनके यहाँ सामाजिक-आर्थिक यथार्थ अपने सभी रूपों में पूरे वैविध्य के साथ प्रगट होता है। पाठक उन्हें ज़रूर पसन्द करेंगे।

– सन्तोष चौवे

वरिष्ठ कवि-कथाकार

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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