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देख कबीरा रोया
‘‘अब कभी नहीं पैदा होगा इस धरती पर ऐसा आदमी। ऐसा निर्भीक, ऐसा समतावादी, ऐसा मानवता-प्रेमी, ऐसा राम-भक्त और सबसे ऊपर ऐसा आशु-कवि जिसके मुख से दोहे और साखियां, रमैनी और उलटबांसियां झरने से निकलते जल की तरह झरती थीं-निर्बाध, निद्वन्द्व, अनायास, अप्रयास।’’
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Binding | Paperback |
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Language | Hindi |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher | |
ISBN | |
Authors | |
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