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Description
देखा समझा देस बिदेस
यात्रा या देशाटन को जीवंत किताब कहा गया है। पुस्तकीय ज्ञान जहाँ ज्ञान का सैद्धांतिक पक्ष है वहीं यात्राओं से अर्जित ज्ञान, ज्ञान का व्यावहारिक पक्ष। यात्राएँ हमें एक साथ ही इतिहास, भूगोल, संस्कृति, परंपरा, भाषा और साहित्य तथा ज्ञान की अन्य-अन्य सरणियों से जीवंत साक्षात्कार करा देती हैं। कहना न होगा कि देशाटन से ज्ञान के अनगिनत झरोखे एक साथ खुल जाते हैं और हमारे ज्ञान-चक्षु भी।
प्रस्तुत कृति यथा नाम तथा गुण देश-विदेश को जानने-समझने का लेखक का एक लघु प्रयास है। एक चैतन्य पाठक लेखक के आँखों देखे के साथ-साथ समांतर यात्रा करते हुए अपने सामान्य ज्ञान में गुणात्मक वृद्धि देखता-अनुभूत करता है। लेखक जहाँ अपने पाठक को स्वयं के साथ-साथ भीमबेटका की आदिम गुफाओं की सैर कराता है, पोर्टब्लेयर के रोमांच और इतिहास से साक्षात्कार कराता है, बुद्ध की खोज में बोधगया-सारनाथ-कुशीनगर की श्रमसाध्य यात्राएँ कराता है, वहीं नर्मदा के उद्गम अमरकंटक तक जा पहुँचता है और धौलाधार के प्रपात में छपछपाछई करके अपने पाठकों को भी भिंगोकर तरोताजा करता है। लेखक के पास रेवा की तरह चंचल, चपल और प्रवाहशील भाषा है जिसमें अवगाहन कर पाठक ज्ञान के मूँगा-मोती-माणक सहज ही हस्तगत कर सकता है।
Additional information
Authors | |
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ISBN | |
Binding | Paperback |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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