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Description
देश की बात
सन् 1904 में ‘देशेर कथा’ शीर्षक से प्रकाशित बांग्ला पुस्तक का हिन्दी अनुवाद देश की बात पहली बार सन् 1908 में मुंबई से तथा उसका परिवर्द्धित संस्करण सन् 1910 में कलकत्ता से प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक ब्रिटिश साम्राज्य में गुलामी की जंजीरों में जकड़ी और शोषण की यातना में जीती-जागती भारतीय जनता के चीत्कार का दस्तावेज है। मात्र पांच वर्षों में इसके पांच संस्करण की तेरह हजार प्रतियों के प्रकाशन की सूचना से भयभीत अंग्रेज़ों ने सन् 1910 में इस पुस्तक पर पाबंदी लगा दी। भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए यहां की कृषि व्यवस्था कारीगरी और उद्योग-धंधों को तहस-नहस करने और भारतीय नागरिक के संबंध में अवमानना भरे वाक्यों का व्यवहार करने की घटनाओं का प्रमाणिक चित्र यहां उपस्थित है। प्रथम प्रकाशन के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ट्रस्ट द्वारा पुनर्मुद्रित यह पुस्तक, इतिहास और राजनीति के साथ-साथ साहित्य और समाज-शास्त्र में भी रुचि रखने वाले सुधीजनों को चकित करने में आज भी बेमिसाल साबित होगी।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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