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धर्म : महासमर-4
इस खंड में बताया गया है कि पांडवों को राज्य के रूप में खाण्डवप्रस्थ मिला, जहाँ न कृषि है, न व्यापार। सम्पूर्ण क्षेत्र में अराजकता फैली हुई है। इस खंड में उस युग के चरित्रों तथा उनके धर्म का विश्लेषण भी किया गया है। अर्जुन और कृष्ण ने अग्नि के साथ मिलकर खांडववन को नष्ट कर डाला। क्या यह धर्म था ? जरासन्ध जैसा पराक्रमी राजा भीम के हाथों कैसे मारा गया और उसका पुत्र क्यों खड़ा देखता रहा ? अंत में हस्तिनापुर में होने वाली द्यूत-सभा। धर्मराज होते हुए भी क्यों युधिष्ठिर द्यूत में सम्मिलित हुए ?
प्राख्यात कथाओं का पुनःसृजन उन कथाओं का संशोधन अथवा पुनर्लेखन नहीं होता; वह उनका युग-सापेक्ष अनुकूलन मात्र भी नहीं होता। पीपल के बीज से उत्पन्न प्रत्येक वृक्ष पीपल होते हुए भी, स्वयं में एक स्वतंत्र आस्तित्व होता है; वह न किसी का अनुसरण है, न किसी का नया संस्करण। मौलिक उपन्यास का भी यही सत्य है।
मानवता के शाश्वत प्रश्नों का साक्षात्कार लेखक अपने गली-मुहल्ले, नगर-देश, समाचारपत्रों तथा समाकालीन इतिहास में आबद्ध होकर भी करता है; और मानव सभ्यता तथा संस्कृति की संपूर्ण जातीय स्मृति के सम्मुख बैठकर भी। पौराणिक उपन्यास कार के ‘प्राचीन’ में घिरकर प्रगति के प्रति अंधे हो जाने की संभावना उतनी ही घातक है, जितनी समकालीन लेखक की समसामयिक पत्रकारिता में बंदी हो एक खंड-सत्य को पूर्ण सत्य मानने की मूढ़ता। सृजक साहित्यकार का सत्य अपने काल-खंड का अंग होते हुए भी, खंडों के अतिक्रमण का लक्ष्य लेकर चलता है।
नरेन्द्र कोहली का नया उपन्यास है ‘महासमर’। घटनाएँ तथा पात्र महाभारत से संबद्ध हैं; किंतु यह कृति एक उपन्यास है – आज के एक लेखन का मौलिक सृजन।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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