Din Jo Pakheroo Hote

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Din Jo Pakheroo Hote

Din Jo Pakheroo Hote

325.00 265.00

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325.00 265.00

Author: Rajendra Rao

Availability: 4 in stock

Pages: 192

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789389373189

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

दिन जो पखेरू होते

यह उस समय की बात है जब देश आज़ाद हुआ ही था। जहाँ एक ओर देश के सामने प्रगतिशील और उन्नत राष्ट्र की परिकल्पना थी तो दूसरी ओर गुट निरपेक्ष राष्ट्र समूह के गठन के द्वारा एक युद्धविहीन दुनिया का सपना भी देखा जा रहा था। आत्मनिर्भरता के लिए अनिवार्य था कि मौलिक ज़रूरतों के लिए देश में ही उत्पादन हो। इसके अंतर्गत बड़े-बड़े कारखाने और उद्योग स्थापित किये जा रहे थे। लेकिन साथ ही पंचशील के सिद्धांत भी दुनिया के सामने रखे जा रहे थे। इसी सोच से सुरक्षा के लिए आयुध कारखानों की एक सुदृढ़ श्रृंखला स्थापित की जा रही थी। एक ऐसा कारखाना राजधानी के पास एक कस्बाई माहौल में स्थापित किया गया। दकियानूसी और रूढ़िवादी परिवेश का यह कस्बा बहुत तेज़ी से एक कारखाने की टाउनशिप में बदल रहा था जिसके कारण समाज में विरोधी विचारों का टकराव होने लगा। पचास और साठ के दशक में स्थापित इन सरकारी आयुध कारखानों का सरकार तेज़ी से निजीकरण करने के बहाने बड़े औद्योगिक घरानों को सौंप रही है जिससे माहौल गरमाया हुआ है।

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Hindi

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Publishing Year

2022

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